106 साल पहले इस परिकल्पना से हुई थी परमाणु बम की शुरुआत

आज के समय में जब भी किसी देश की शक्ति की बात की जाती हैं तो यह देखा जाता हैं कि उसके पास कितने परमाणु हथियार है। वर्तमान समय में परमाणु बम सबसे ताकतवर हथियार माना जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी परिकल्पना अब से 106 साल पहले ही की जा चुकी थी। जी हां, साल 1914 में एचजी वेल्स की किताब 'द वर्ल्ड सेट फ्री' में यूरेनियम से बनने वाले एक ऐसे बम की परिकल्पना की गई थी जो लम्बे समय तक फटता रहे।

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वेल्स ने तो यहां तक सोच लिया था कि इसे हवाई जहाज से जमीन पर गिराया जाएगा। पर वेल्स ने शायद यह नहीं सोचा था कि उनके एक दोस्त विंस्टन चर्चिल और भौतिक शास्त्र के एक वैज्ञानिक लियो स्जिलर्ड उनकी परिकल्पना को सच्चाई में बदल देंगे। उस समय यह माना जाता था कि ठोस पदार्थ बहुत ही छोटे छोटे कणों से बना होता है। साइंस म्यूजियम के क्यूरेटर एंड्र्यू नैहम का कहना है, 'जब यह साफ हो गया कि रदरफोर्ड के परमाणु में सघन न्यूक्लीयस है, तो यह समझा गया कि वह एक स्प्रिंग की तरह है।'

एचजी वेल्स नई-नई खोजों से काफी प्रभावित थे। यह भी देखा गया कि वे आने वाले आविष्कारों के बारे में पहले से ही अनुमान लगा लेते थे, जो कई बार सही साबित होते थे। ब्रिटिश राजनेता चर्चिल ने एचजी वेल्स के नोट्स पढ़े और बहुत ही प्रभावित हुए। वे खुद भी साहित्यकार थे। उन्होंने वेल्स से मुलाकात भी की थी।

नारंगी के आकार के परमाणु बम के बारे में सबसे पहले सोचने का श्रेय ग्राहम फार्मलो को है, लेकिन यह एचजी वेल्स की किताब से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ था। ब्रितानी वैज्ञानिकों ने 1932 में परमाणु को विखंडित करने में कामयाबी हासिल कर ली, हालांकि उस समय भी ज्यादातर लोग यह मानते थे कि इससे बहुत बड़े पैमाने पर ऊर्जा नहीं निकल सकती है।

उसी साल हंगरी के वैज्ञानिक लियो स्जिलर्ड ने वेल्स की किताब 'द वर्ल्ड सेट फ्री' पढ़ी थी। उन्होंने इस पर यकीन किया कि परमाणु के विखंडन से बहुत बड़े पैमाने पर ऊर्जा निकल सकती है। उन्होंने इस पर एक लेख भी लिखा, जो वेल्स के विचारों के बहुत ही नजदीक था।

स्जिलर्ड ने ही सितंबर 1933 में 'चेन रिएक्शन' की बात कही थी। उन्होंने लंदन के रसेल स्क्वैयर पर ट्रैफिक सिग्नल को देखा तो उनके दिमाग में यह बात आई। उन्होंने लिखा, 'मेरे मन में यकायक यह ख्याल आया कि यदि परमाणु को न्यूट्रॉन से तोड़ा जाए, जिससे दो न्यूट्रॉन निकले और उसमें से एक न्यूट्रॉन निकल कर फिर ऐसा ही करने लगे, तो मुझे लगता है कि न्यूक्लियर 'चेन रिएक्शन' शुरू हो जाएगा।'

ठीक इसी समय नाजियों का दबदबा बढ़ रहा था और स्जिलर्ड इससे काफी परेशान थे। साल 1945 में चर्चिल ब्रिटेन का संसदीय चुनाव हार गए। ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने लॉस एलामोस के वैज्ञानिकों को छोटे बजट पर ही सही, परमाणु बम बनाने को कहा। एचजी वेल्स की मौत 1946 में हो गई। वे उस समय 'द शेप ऑफ थिंग्स टू कम' फिल्म पर काम कर रहे थे। उन्होंने उसमें भी इस बम की बात की थी।