शख्स ने लॉटरी जीतने के लिए आजमाई यह ट्रिक, कुल 14 बार की अपने नाम जीत

इस दुनिया में हर व्यक्ति चाहता हैं कि उसके पास बहुत पैसा हो। इसके लिए वह चाहता है कि अचानक किस्मत खुल जाए और कोई लॉटरी निकल जाए जो उसको अमीर बना दे। हांलाकि लॉटरी जीतना किस्मत के हाथ में हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने लॉटरी जीतने के लिए अपना अलग ही अनोखा फार्मूला निकाला हैं और उसकी मदद से वह कुल 14 बार लॉटरी जीत चुका हैं। तो आइये जानते हैं इससे जुड़ी पूरी जानकारी के बारे में।

रोमानिया के रहने वाले अर्थशास्त्री स्टीफन मैंडल इतने गरीब थे कि उसके पास मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए भी पैसे नहीं थे। सालों की कड़ी मेहनत के बाद मैंडल ने एक फॉर्मूला तैयार किया जिसके आधार पर एक या दो नहीं बल्कि कुल 14 बार उनकी लॉटरी लगी। कॉम्बिनेटोरियल कंडेनसेशन के जरिए उन्होंने फॉर्मूला बनाया था। इस फॉर्मूले के आधार पर जितने भी संभावित कॉम्बिनेशन बनते थे वे उन सभी नंबरों के टिकट्स खरीद लेते थे।

स्टीफन ने इस बात की भी गणना कर ली थी जिन नंबरों के टिकट की लॉटरी लगने की संभावना बन रही थी, उन सभी को खरीद लेने का बाद जो कुल खर्च आएगा वह लॉटरी लगने पर मिलने वाली ईनाम राशि से काफी कम होगा। लिहाजा, वह सभी संभावित नंबरों के टिकट खरीद लेते थे।

उदाहरण के तौर पर, अगर खेल में 1 से 40 तक छह अंकों की लॉटरी तय की गई तो करीब 3,838,380 ऐसे नंबर कॉम्बिनेशन निकल जाएंगे जिनमें से किसी एक की लॉटरी पक्की हो। अब अगर 82 करोड़ रुपये का ईनाम तय किया गया हो और एक लॉटरी 82 रुपये में बिक रहा हो, तो भी जिन नंबरों की लॉटरी के लगने की सबसे ज्यादा संभावना हो, उन सभी को खरीदने में जितने पैसे खर्च होंगे, उससे कहीं ज्यादा पैसे जैकपॉट की राशि मिलते ही नसीब हो जाएंगे।

दोस्तों के साथ मिलकर स्टीफन ने बड़ी तादाद में लॉटरी के टिकट्स खरीदें। उन्होंने 12 लाख रुपये से ज्यादा की लॉटरी जीत ली। दोस्तों के पैसे लौटाने के बाद भी उनके पास दो लाख से ज्यादा रुपये बचे। इसके बाद वह रोमानिया छोड़ ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट हो गए और कंपनी खोल ली।

स्टीफन की कंपनी में 16 कर्मचारी थे और 30 कंप्यूटर की मदद से हर एक कॉम्बिनेशन नंबर का अध्ययन किया जाता था। जब अधिकारियों को स्टीफन की चालबाजी के बारे में पता चला तो उन्होंने खेल के नियम बदल दिए। भारी तादाद में टिकट खरीदने पर भी बैन लगा दिया।

स्टीफन ने तब भी दलालों की मदद से लॉटरी की खरीद जारी रखी। अपने इस सफर के दौरान उन्होंने इंटरनेशनल लोटो फंड नामक ट्रस्ट भी शुरु किया। 1995 में वह दिवालिया घोषित कर दिए गए। एक निवेश घोटाले में दोषी पाए जाने पर उन्हें 20 महीने जेल की सजा काटनी पड़ी। अमेरिका के तमाम राज्यों में 'मिस्टर मैंडेल स्ट्रैटजी' के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया। मगर उन्होंने अपनी कोशिशें जारी रखीं।