भारत अपने मंदिरों और उनके रीती-रिवाजों के लिए बहुत प्रसिद्द हैं। क्योंकि हर मंदिर के अपने रीती-रिवाज होते हैं। कुछ रीती-रिवाज तो ऐसे होते हैं जिनको समझ पाना मुश्किल सा लगता हैं। ऐसा ही एक रिवाज है कोटिकालिना काडू बसप्पा मंदिर का क्योंकि आमतौर पर भगवान को फूल और प्रसाद चढ़ाया जाता हैं। लेकिन इस मंदिर में पत्थर चढ़ाये जाते हैं। है न अजीब बात, तो आइये जानते हैं इसके मंदी के बारे में।
यह मंदिर भारत के दक्षिण में बना है। यहां पर लोगों की भीड़ भी होती है, लेकिन हाथ में फूल लेकर नहीं बल्कि पत्थर लिए। यह मंदिर बेंगलुरु-मैसूर नेशनल हाईवे के मांड्या शहर में स्थित है। किरागांदुरू-बेविनाहल्ली रोड पर बना कोटिकालिना काडू बसप्पा मंदिर पत्थर चढ़ाए जाने के लिए प्रसिद्ध है।
यहां अगर आप दर्शन करने जाते हैं तो आपको प्रसाद के तौर पर पत्थर चढ़ाने होंगे। आप किसी भी साइज का पत्थर भगवान को समर्पित कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि आप एक बार में केवल 3 या 5 पत्थर ही भगवान को चढ़ा सकते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि वहां पर भगवान के मंदिर के बाहर पत्थरों की दुकान होगी, क्योंकि जब भगवान को पत्थर ही चढ़ाना है तो फूल माला कौन बेचेगा।
यहां पर आने वाले श्रद्धालु अपनी पूजा स्वयं करते हैं। उन्हें न तो पंडित को पैसे देने होते और न ही लम्बी-लम्बी लाइन में खड़े होकर घंटों अपनी बारी का इंतजार करना होता है। वहीं स्थानीय लोगों के अनुसार, आसपास के लोग और मांड्या तालुक के लगभग सभी गांव वाले रोजाना इस मंदिर में पत्थर चढ़ाने के लिए आते हैं। अगर आपकी मनोकामना पूरी हो गई तो आपको इसके लिए भगवान को मिठाई चढ़ाने की जरुरत नहीं होती है। बस, आपको अपने खेतों या अपनी जमीन से पत्थर लाकर भगवान को चढ़ाना होता है। ऐसा करके आप भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। दुनिया का ये इकलौता मंदिर होगा, जहां लोगों को पैसे खर्च करने की जरुरत नहीं। न तो प्रसाद लेने ली जरूरत और न ही फूल-माला।