आपने अपने जीवन में किसी और विशेष और विश्वप्रसिद्ध चीज के बारे में सुना हो या ना सुना हो लेकिन सबसे महँगी पेंटिंग मोनालिसा के बारे में तो जरूर सुना होगा जो लियोनार्डो डा विन्ची ने बनाई थी। आप सभी को यह तो पता ही है कि यह कितनी कीमती हैं लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर यह इतनी कीमती क्यों हैं। जी हाँ, कई लोग आज भी इसकी खासियत से अनजान हैं। तो आइये आज हम बताने जा रहे हैं आपको इसकी खासियत के बारे में।
आज से करीब 500 साल पहले इटली के एक व्यापारी फ्रांसेस्को डेल जिओकोंडो ने अपनी पत्नी लीसा डेल जिओकोंडो की पेंटिंग, उस समय के उभरते पेंटर लियोनार्डो डा विन्ची से बनवायी और विन्ची ने इस पेंटिंग का नाम ला जिओकोंडा रखा लेकिन बदलते समय के साथ इसका नाम मोनालिसा हो गया।
धीरे धीरे लियोनार्डो मशहूर होने लगा और उसकी ये पेंटिंग सबसे पहले फ्रांस के राजा फ्रांसिस प्रथम ने खरीदी। फ्रांस की क्रांति के बाद ये तस्वीर नेपोलियन के बैडरूम में सजाई गयी और कुछ समय बाद लूव्र के म्यूजियम में लगा दी गयी। विन्ची की पेंटिंग की ये खासियत रही कि वो पेंटिंग में आउटलाइन नहीं बनाते थे। इस टेक्निक को स्फुमातो कहा गया और इसी की वजह से विन्ची को काफी प्रसिद्धि भी मिली।
मोनालिसा की हल्की सी मुस्कान ने पूरी दुनिया को हैरान कर रखा है। इस बार बहुत से कयास लगाए गए हैं लेकिन इस मुस्कान का सही कारण शायद ही कोई जानता है।कुछ लोगों का कहना है कि ये एक भोली महिला की मासूम मुस्कान है तो कुछ का कहना है कि ये मुस्कान बताती है कि मोनालिसा के दिल में बहुत से राज छुपे हैं और डेनमार्क में बने इमोशन रिकग्निशन कंप्यूटर के अनुसार मोनालिसा 83% परसेंट खुश है।
वर्ष 1950 आते-आते मोनालिसा पर 300 से ज्यादा पेंटिंग्स बन चुकी थी जिनमें कई बदलाव किये गए थे और 2000 से भी ज्यादा विज्ञापन भी बन चुके थे। इतनी रहस्यमय और मासूम दिखने वाली इस पेंटिंग की कीमत आज 50 अरब रुपए से भी ज्यादा हो गयी है और ये दुनिया की सबसे महँगी पेंटिंग है।