पूरी दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जो कोरोना वायरस के कहर से बचा हो। कोरोना वायरस ने कहीं ज्यादा तो कहीं कम तबाही जरुर मचाई है। चीन, अमेरिका, इटली, स्पेन और ईरान में इस वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा हजारों में है। भारत में भी कोरोना के मामले सामने आए हैं लेकिन यहां समय पर किए गए लॉकडाउन से संक्रमित लोगों की गिनती कम है। लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां कोरोना का कोई मामला सामने नहीं आया। उनमें से एक है रूस में दक्षिणी साइबेरिया।
दक्षिणी साइबेरिया के अल्टाइ क्षेत्र में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है। लोग इसका श्रेय एक रहस्यमय प्राचीन ममी को दे रहे हैं। यह ममी गोरोन-अटलाइस्क के एक संग्रहालय में रखी हुई है। गोरनो-अटलाइस्ट राजधानी है अटलाइ गणराज्य की। इस क्षेत्र की आबादी करीब 2,20,000 है। लेकिन कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया। इसका श्रेय स्थानीय प्रशासन ने सेल्फ आइसोलेशन को दिया है लेकिन दैवीय आशीर्वाद से भी इनकार नहीं किया है। इस क्षेत्र के उप प्रमुख येरझनाट बोगेनोव ने मीडिया को बताया कि सरकार ने शुरू में ही आइसोलेशन के कदम उठाए थे जिस वजह से क्षेत्र के लोगों में कोरोना का मामला सामने नहीं आया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि लोग ममी की पूजा करते हैं, इस वजह से भी हमारी सुरक्षा होती है।
मॉस्को टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह ममी 2,400 साल पुरानी है। इससे 1993 में साइबेरिया के परमाफ्रॉस्ट क्षेत्र से खुदाई करके इसकी असल कब्रगाह से निकाला गया। आपको बता दें कि परमाफ्रॉस्ट उस क्षेत्र को कहा जाता जो दो साल से ज्यादा समय से जमा हो या हमेशा जीरो डिग्री सेल्सियस तापमान हो। इसको साइबेरियन आइस मैडन के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि जब किसी तरह का खतरा होता है या कोई बीमारी दुनिया भर में फैलती है तो यह ममी उनकी सुरक्षा करती है।
बोगेनोव ने बताया कि हम ममी को खजाने की तरह संभालकर रखते हैं क्योंकि यह ममी हमारी सुरक्षा करती है। उन्होंने एक घटना के बारे में बताते हुए कहा, 'एक बार इस ममी को नोवोसिबिर्स्क शहर ले गए थे। उसे ले जाने के बाद इस क्षेत्र में भूकंप आया। इस पर स्थानीय लोगों ने कहा कि ममी को ले जाने से ऐसा हुआ है, हमें इसको छूना नहीं चाहिए था।'
इस ममी को प्रिंसेस ऑफ युकोक और अल्टाइ प्रिंसेस के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रिंसेस ऑफ युकोक पाजिरिक जनजाति से संबंध रखती हैं। इस जनजाति के लिए 7वीं और तीसरी सदी ईसा पूर्व में यूरेशिया के घास के मैदानों में आबाद सिथियाई जाति के लोग से काफी मिलते-जुलते हैं। वैसे सही तौर पर ममी की पहचान नहीं हो पाई है। इसके पूरे बदन पर कांधे से लेकर कलाई तक टैटू बने हुए हैं।
इस ममी को काफी आभूषणों और छह घोड़ों के साथ दफन किया गया था। इससे पुरातत्त्वविद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि वह महिला काफी धार्मिक रही होगी और उसके पास लोगों की बीमारी सही करने की शक्ति रही होगी। इसके अलावा भेड़ का खाना और घोड़े का मांस भी उनकी बगल में रखा हुआ था। लकड़ी, कांस्य और सोना के आभूषणों के अलावा एक छोटा कंटेनर भी मिला है जिसमें भांग रखा हुआ था। म्यूजियम इस ममी को नए चांद के दौरान ही आम लोग देख सकते हैं।