अनोखी बीमारी जिसमें ख़त्म हो जाता हैं इंसान का हर डर, जानकारी हैरान करने वाली

आपने अक्सर कई ऐसे लोगों को देखा होगा जिन्हें किसी ना किसी चीज से डर लगता हैं जैसे कि चूहे, छिपकली या मकड़ी को देखकर। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो डरते हैं लेकिन दिखाते हैं और कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें किसी भी चीज से डर नहीं लगता हैं और सभी उन्हें बहादुर समझते हैं। लेकीन जरा संभलकर क्योंकि हो सकता हैं कि आपके उस बहादुर शख्स को कोई बिमारी हो। जी हाँ, करंट बायोलॉजी नामक साइंस जर्नल में छापी गई एक रिसर्च के अनुसार, जो लोग कभी किसी चीज़ या किसी भी बात, घटना या किसी भी होनी या अनहोनी से नहीं डरते उन्हें असल में एक बीमारी होती है।

इस शोध में कुछ उदहारण और केस स्टडी के आधार पर यह दावा किया गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि इस बीमारी के लोगों में डर पैदा करने वाला केमिकल दिमाग में पैदा होना बंद हो जाता है, जिसकी वजह से वो डरना भूल जाते हैं। हालांकि इसका कोई विपरीत असर बॉडी पर नहीं होता लेकिन ये सामान्य नहीं है। दिमाग की इस बीमारी को उरबैच-वाएथ रोग (Urbach- Wiethe disease) कहते हैं। ये एक तरह की रेयर जेनेटिक बीमारी है। इसमें बॉडी के कई पार्ट्स कड़े हो जाते हैं और इसका असर दिमाग पर भी पड़ता है। इसी बीमारी के कारण ही दिमाग का वो हिस्सा भी कड़ा हो जाता है जहां डर का आभास होता है और दिमाग तक संदेश पहुंचाया जाता है।

इस बीमारी में मस्तिष्क का एमिग्डेला नाम हिस्सा बेहद कड़ा हो जाता है। इतना कि दिमागी हलचले यहां तक आना जाना बंद हो जाती हैं। दिमाग के इस हिस्से तक तंत्रिकाएं डर का संदेश नहीं पहुंचा पाती। इस बीमारी से आंखों के आसपास मोटे दाने हो जाते हैं। ये आंखों के अलावा पूरे चेहरे पर भी हो सकते हैं। अगर बीमारी बढ़ती गई तो ये दाने और कड़ापन बढ़ता जाता है जो बॉडी के कई दूसरे हिस्सों तक पहुंच जाता है। इस दौरान व्यक्ति का फेस भद्दा दिखने लगता है। हालांकि इसके अलावा बॉडी पर कोई और असर नहीं देखने को मिलता है।

ये एक जेनेटिक बीमारी है लेकिन इस बीमारी के दुनियाभर में 400 से भी ज्यादा मरीज दर्ज किए जा चुके हैं। इस बीमारी की शुरुआत में व्यक्ति की आवाज में भारीपन आ जाता है और उसकी आंखों के आसपास छोटे-छोटे दाने या उभार आ जाते हैं और सीटी स्कैन से देखने पर पता चलता है कि मस्तिष्क में कैल्शियम का जमाव हो गया है। दिमाग में जमा हुआ ये कैल्शियम डर तो खत्म कर ही देता है साथ ही आगे बढ़ती उम्र के साथ ही मरीज को मिर्गी के दौरे भी पड़ने लगते हैं। दिमाग में इस डर पैदा करने वाले हिस्से का आकार बादाम जितना होता है।