रूसी वैज्ञानिकों ने अपने एक रिसर्च में इस बात का पता लगा लिया है कि कैसे तीन हजार साल पुरानी ममी के बाल लंबे समय तक संरक्षित रहे। यह रिसर्च प्राचीन मिस्र की तीन ममी पर किया गया है। मॉस्को के कुर्चतोव इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने बालों पर रिसर्च करते हुए दावा किया है कि इन बालों पर एक खास तरह के बाम लगाया जाता था। इन ममी को संरक्षित करने से पहले इन पर देवदार का बाम (गोंद) का प्रयोग किया गया था जिसमें कई तरह के प्राकृतिक रसायन थे। इसका पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने बालों पर इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल किया है। शोध के मुताबिक, बालों पर लगाए जाने वाले बाम में बीफ फैट, अरंडी, पिस्ता का तेल और मधुमक्खियों से तैयार हुआ मोम पाया गया।
वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ विक्टर पोजिहादेव का कहना है कि हम यह देखकर काफी हैरान थे कि इतने वर्षों के बाद भी इन ममीज के बाल सुरक्षित रहे। हमें अंदाजा था कि इसके लिए किसी खास प्रकार के बाम का प्रयोग किया जाता है। रिसर्च में इसकी पुष्टि हुई। इसीलिए हम इसे बनाने की विधि और इसमें इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को खोजने की कोशिश की। बता दे, प्राचीन मिस्र में शवों को सहेजने का तरीका भी अनूठा था। इसे ममी में तब्दील करने के लिए मृत शरीर के आंतरिक अंगों को निकालकर इसे नमक के साथ रखते थे ताकि नमी हट जाए। पूरे शरीर पर पौधे से निकला तेल और रेजिन का बाम लगाकर कपड़ा लपेट दिया जाता था। माना जाता है कि पुरानी ममी को प्राकृतिक रूप से सूखी रेगिस्तानी रेत में दफन करके संरक्षित किया जाता था।दो तरह का लेप होते थे तैयार
रूसी वैज्ञानिकों का दावा है कि ममी को तैयार करने के लिए दो तरह का लेप तैयार किया गया जाता था। एक बालों के लिए और दूसरा शरीर पर लगाने के लिए। वर्तमान में ममी से जुड़ी चीजों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक पॉजिट्रौन एमिशन टोमोग्राफी और कम्प्यूटर टोमोग्राफी का इस्तेमाल कर रहे हैं। रिसर्च मॉस्को के पुशकिन स्टेट म्यूजियम में रखी ममीज पर की गई है।