भारत के इस गांव में होती हैं कोरोना फैलाने वाले चमगादड़ों की पूजा

आज के समय में पूरी दुनिया में महामारी बन चुका कोरोना वायरस अब तक 24 हजार लोगों की जाना ले चुका हैं और 5 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। माना जाता हैं कि यह कोरोना वायरस चमगादड़ों से पनपा हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा गांव हैं जहां चमगादड़ों की पूजा की जाती हैं। उनका मानना है कि ये चमगादड़ उन्हें महामारी से बचाते हैं। इस गांव का नाम है सरसई (रामपुर रत्नाकर), जो वैशाली जिले के राजापाकड़ प्रखंड में पड़ता है। यहां के लोग चमगादड़ों को 'ग्राम देवता' के रूप में मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। वह इन्हें संपन्नता का प्रतीक मानते हैं। उनका मानना है कि जिस इलाके में चमगादड़ निवास करते हैं, वहां धन की कोई कमी नहीं होती।

सरसई गांव के लोगों का यह भी मानना है कि यहां निवास करने वाले चमगादड़ उनके पूरे गांव की रक्षा करते हैं और साथ ही उनके ऊपर किसी तरह की विपत्ति नहीं आने देते। यहां तक कि ये उन्हें किसी भी तरह की महामारी से भी बचाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि गांव में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं, ताकि सब सही-सही हो। इस गांव में सैकड़ों की संख्या में ये चमगादड़ एक तालाब के किनारे पीपल के पेड़ पर और आसपास के अन्य पेड़ों पर निवास करते हैं।

इन चमगादड़ों की वजह से ही यह गांव पूरे इलाके में मशहूर है और लोग दूर-दूर से इन्हें देखने के लिए आते हैं। गांव वालों का कहना है कि अगर रात में कोई बाहरी व्यक्ति इस गांव में आता है तो ये चमगादड़ शोर मचाने लगते हैं जबकि गांव वालों के आने पर ये शांत रहते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि इस गांव में ये चमगादड़ कब से रह रहे हैं, लेकिन वह एक कहानी सुनाते हैं, जिसके मुताबिक मध्यकाल में एक बार वैशाली जिले में महामारी फैली थी, तब ये चमगादड़ कहीं से उड़कर यहां आ गए और फिर यहीं के होकर रह गए। उनका मानना है कि इन चमगादड़ों की वजह से ही यहां कभी महामारी नहीं फैलती।