नवरात्रि स्पेशल : इस मंदिर में चोरी करने से होती है सभी मनोकामनाएं पूरी, जानें इसके बारे में

हमारे देश में मातारानी के कई मंदिर हैं जो अपनी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। नवरात्रि के इन दिनों में माता के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं। आज हम आपके लिए एक ऐसा अनोखा मंदिर लेकर आए हैं जहाँ आपको अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए चोरी करनी पड़ती हैं। हम बात कर रहे हैं रुड़की में स्थित सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी के मंदिर के बारे में। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

रुड़की के चुड़ियाला गांव में स्थित प्राचीन सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी का एक चमत्कारी मंदिर है, जहां नवरात्र के मौके पर खासकर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। ऐसी मान्यता है कि यहां सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन लोक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा तभी संभव है जब आप चोरी करते हैं।

शिव जिस समय माता सती के मृत शरीर को उठाकर ले जा रहे थेउसी समय माता सती का चूड़ा इस घनघोर जंगल में गिर गया था। जिसके बाद यहां पर माता की पिंडी स्थापित होने के साथ ही भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1805 में लंढौरा रियासत के राजा द्वारा कराया गया है।

ऐसे कहा जाता है कि एक बार राजा को शिकार के दौरान जंगल में माता के पिंडी के दर्शन हुए। उस राजा का कोई पुत्र नहीं था, तो राजा ने माता से पुत्र-प्राप्ति का वरदान मांगा और उसकी मुराद पूरी हुई। इसी से राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया।

इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं, ऐसे ज्यादातर लोग यहां पुत्र-प्राप्ति के लिए दर्शन करने को आते हैं। दरअसल ऐसी मान्यता है कि अगर आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति करनी है तो मंदिर में आकर माता के चरणों में रखा लोकड़ा (लकड़ी का गुड्डा) चुराकर अपने साथ ले जाना होता है और जब आपकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो अषाढ़ मास में अपने पुत्र के साथ मां के दरबार में आना होता है।

आमतौर पर माता चूड़ामणि देवी के दरबार में पुत्र प्राप्ति के लिए आए जोड़े अपने साथ चुराकर ले गए लोकड़े के साथ ही एक अन्य लोकड़ा भी अपने पुत्र के हाथों से चढ़ाते आए हैं। दिलचस्प बात है कि यह प्रथा इसी तरह से सदियों से चली आ रही है। जिसके चलते आज भी गांव की बेटियां भी विवाह के बाद इस मंदिर में आकर लोकड़ा चढ़ाकर अपने सुखी वैवाहिक जीवन के साथ ही पुत्र-रत्न की प्राप्ति की प्रार्थना करना नहीं भूलतीं।

उत्तराखंड में बसा यह प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर सदियों से ही श्रद्धालुओं की आस्था स्थली के रूप में केंद्र बना हुआ है। इसी वजह से आज भी यहां हजारों की संख्या में लोग माता के दर्शन करने के लिए दूर-दराज के इलाकों से आते हैं। हालांकि यहां की शोभा नवरात्रि के दौरान देखते ही बनती है। उस समय मंदिर में भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है।