भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं जहां देश के किसी भी कोने में घूमने के लिए जाया जा सकता हैं। लेकिन देश का ऐसा ही एक हिस्सा हैं जहां आप बिना इजाजत लिए नहीं जा सकते हैं और आपको इसके लिए वीजा लेना पड़ता है। हम बात कर रहे हैं नागालेंड की जहां जाने के लिए आम लोगों को इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है। केवल स्थानीय लोग ही यहां बिना किसी रोक-टोक के कहीं भी आ-जा सकते हैं। इससे पहले जम्मू-कश्मीर में भी इनर लाइन परमिट लागू थी, हालांकि श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा आंदोलन करने के जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम को खत्म कर दिया गया था।
फिलहाल भारत में सिर्फ नागालेंड राज्य में ही इनर लाइन परमिट सिस्टम लागू है। बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्यूलेशन्स, 1873, सीमित अवधि के लिए किसी संरक्षित, प्रतिबंधित क्षेत्र में दाखिल होने के लिए यह अनुमति देता है। इस क्षेत्र में नौकरी अथवा किसी प्रकार के पर्यटन के लिए जाने के लिए भी आपको परमिशन लेने की जरूरत होती है। नागालैंड में फिलहाल बिना अनुमति के जाना मना है। जबकि नागालैंड में यह सिस्टम अभी तक लागू है। बताया जाता है कि आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार ने यहां पर इनर लाइन परमिट सिस्टम लागू किया था। दरअसल, नागालैंड क्षेत्र में प्राकृतिक औषधि और जड़ी-बूटियों का प्रचुर भंडार था। ब्रिटिश सरकार इसे ब्रिटेन भेजा करती थी। औषधियों पर किसी दूसरे की नजर न पड़े, इस कारण उन्होंने नागालैंड में इनर लाइन परमिट शुरु किया था। हालांकि आजादी के बाद भी अभी तक वहां इधर इनर लाइन परमिट सिस्टम जारी है। अब तर्क दिया जाता है कि नागा आदिवासियों की कला-संस्कृति, बोलचाल, रहन-सहन देश के अन्य लोगों से काफी अलग है। इनके संरक्षण के लिए राज्य में इनर लाइन परमिट सिस्टम होना जरूरी है। जिससे कि बाहरी लोग यहां की संस्कृति प्रभावित न कर सकें।