मृत्यु का देवता माने जाने वाले यमराज से सभी डरते हैं और प्राचीन ग्रंथों में इनसे जुड़ी कई बातें जानने को मिलती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती पर एक ऐसी जगह हैं जिसे 'यमराज के घर का प्रवेश द्वार' माना जाता हैं। इस दरवाजे को 'यम द्वार' के नाम से जाना जाता हैं। यह प्रवेश द्वार पवित्र कैलाश पर्वत के रास्ते में पड़ता है। वही कैलाश पर्वत, जिसके रहस्यों को आज तक कोई भी नहीं सुलझा पाया है। इस पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है।
यम द्वार तिब्बत के एक गांव दारचेन से 15 किलोमीटर की दूरी पर करीब 15,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह कैलाश पर्वत की परिक्रमा यात्रा का शुरुआती स्थान है। तिब्बत के लोग इस जगह को 'चोरटेन कांग नग्यी' नाम से बुलाते हैं, जिसका मतलब 'दो पैर वाले स्तूप' होता है।
मान्यता है कि यम द्वार के अंदर रात में रुकने वाला कोई भी इंसान जिंदा नहीं बचता। कहते हैं कि ऐसी कई घटनाएं यहां हो चुकी हैं, लेकिन उनकी मौत के कारणों का पता आज तक नहीं चल पाया है। इस द्वार को लेकर यह भी कहा जाता है कि इसे किसने बनाया और कब बनाया, कोई नहीं जानता। इसके निर्माण को लेकर कई शोध हुए, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया।
कहते हैं कि तिब्बती लोग अपने शरीर से बाल नोंच कर यम द्वार पर अर्पित करते हैं। इसे वो शरीर-त्याग के प्रतीक के रुप में देखते हैं। वहीं बौद्ध लामा यहां आकर मोक्ष-प्राप्ति की कामना करते हैं। कभी-कभी तो बीमार लामा यही आकर अपने प्राण त्यागते हैं, ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो।
मान्यताओं के अनुसार, अगर आपने यम द्वार की परिक्रमा कर ली, तो उसे कैलाश यात्रा पूरी करने के समान माना जाएगा। इसके अलावा यह भी कहते हैं कि यम द्वार की परिक्रमा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि अगर आप यम द्वार से होकर गुजरते हैं तो चित्रगुप्त आपके सभी बुरे कामों को फैसले की किताब से निकाल देते हैं।