अक्सर हमारे जीवन में कई घटनाएं ऐसी हो जाती हैं जो हैरानी में डाल देती हैं और उनपर विश्वास कर पाना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी ही एक घटना घटित हुई थी आज से करीब 40 साल पहले जिसने आज भी सभी को हैरान करा हुआ है। हम बात कर रहे हैं 'फ्रोजेन लेडी' के बारे में। यह घटना साल 1980, दिसंबर की हैं जो की अमेरिका के मिन्नेसोटा में घटित हुई थी। तो आइये जानते हैं इस चमत्कारिक घटना के बारे में।
जीन हिलियर्ड नाम की एक लड़की रात को अपनी कार से अपने घर जा रही थी। इसी बीच उसकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई और वो वहीं पर फंस गई। अब चूंकि बर्फीली रात थी तो उस जगह पर रूकना भी सही नहीं था। ऐसे में उसने सोचा कि क्यों ना पैदल ही दोस्त के घर चला जाए, जो वहां से करीब दो मील की दूरी पर रहता था। अब जीन ने वहां से पैदल चलना शुरू किया। बाहर का तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस था। इतनी भयंकर ठंड को जीन बर्दाश्त नहीं कर पाई और दोस्त के घर से करीब 15 फीट की दूरी पर गिरकर बेहोश हो गई। उस समय रात के एक बजे थे। ऐसे में जीन के दोस्त को उसके आने का कुछ पता ही नहीं चला।
सुबह जब जीन के दोस्त ने अपने घर का दरवाजा खोला तो उसे वो बेहोश पड़ी मिली। साथ ही वह किसी बर्फ की मूर्ति की तरह हो चुकी थी। उसका शरीर पूरी तरह अकड़ चुका था, लेकिन उसकी आंखें खुली थीं। इसके बाद जीन के दोस्त ने उसे आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी हालत देखकर डॉक्टर भी सकते में आ गए और सोचने लगे कि आखिर इस लड़की को बचाया कैसे जाए।
जीन जिस तरह बर्फ की मूर्ति में बदल चुकी थी, वैसे में डॉक्टरों को भी लग रहा था कि जीन के जिंदा होने की उम्मीद तो बिल्कुल भी नहीं होगी। उसके शरीर का तापमान लेना भी लगभग मुश्किल था, क्योंकि उसका पूरा शरीर अकड़ चुका था। न तो बांहें उठाई जा सकती थीं और ना ही उसका मुंह ही खोला जा सकता था। वैसे आमतौर पर इंसान का दिल एक मिनट में 60 से 100 बार धड़कता है, लेकिन बर्फ में जमे होने की वजह से जीन की धड़कन एक मिनट में महज 12 बार ही धड़क रही थी। जीन को ऐसी हालत में जिसने भी देखा, उसने कहा कि इसे तो बस भगवान ही बचा सकते हैं। डॉक्टरों को भी ऐसा लग रहा था कि अगर किसी तरह जीन को बचा भी लिया गया तो उसका दिमाग काम नहीं करेगा और वो अपने शरीर को हिला भी नहीं पाएगी।
हालांकि डॉक्टरों ने उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने जीन को एक इलेक्ट्रिक कंबल में लपेटा, ताकि उसके शरीर का तापमान सामान्य किया जा सके और बर्फ को पिघलाया जा सके। इस प्रक्रिया में करीब एक घंटे लगे, लेकिन उसके बाद जो हुआ, उसे देखकर डॉक्टरों को भी यकीन नहीं हो रहा था। जीन के शरीर में हरकत हो रही थी। जांच के दौरान पाया गया कि उसके शरीर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा था। हालांकि फिर भी एहतियातन जीन को करीब 40 दिन तक आईसीयू में रखा गया और उसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यह घटना आज भी डॉक्टरों के लिए किसी रहस्य से कम नहीं है कि बर्फ में रहकर कैसे कोई जिंदा रह सकता है?