झारखंड के चतरा जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया जिसे जान सभी सोच में पड़ गए हैं। यहां मृत समझकर जिस शख्स का अंतिम संस्कार किया था वो 35 साल बाद वापस लौट आया। पिछले दिनों जब वह गांव पहुंचा तो लोग भौचक्के रह गए। हालांकि, शुरुआत में किसी ने शख्स को नहीं पहचाना। जब व्यक्ति ने बचपन की बातें सुनानी शुरू की तो बड़े-बुजुर्ग लोग पहचान गए। करीब साढ़े तीन दशकों बाद गांव लौटा जागेश्वर के पास रहने के लिए घर नहीं है। क्योंकि उसके घर पर रिश्तेदारों का कब्जा है। फिलहाल वो अपने चचेरे भाई के घर में रह रहा है। जागेश्वर के पास ना तो आधार कार्ड है ना राशन कार्ड। जागेश्वर सरकारी योजनाओं का लाभ लेना चाहता है। साथ ही यहां की नागरिकता पाना चाहता है। जागेश्वर सोरेन सरकार से आवास के लिए गुहार लगाई है।
यह घटना जिले के कान्हाचट्टी प्रखंड के तुलबुल गांव का है। यहां का निवासी जागेश्वर नौकरी की तलाश में 34 साल पहले अपना घर छोड़कर दिल्ली चला गया था। परिजनों ने उसके वापस लौटने का पांच साल तक इंतजार किया। इस दौरान जोगेश्वर घर वापस नहीं लौटा तो चिंतित परिजनों ने उसे मृत मान कर अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन जिसे मृत समझकर परिवार और गांववालों ने 30 वर्ष पूर्व अंतिम संस्कार किया था वो 35 वर्ष बाद अपने गांव लौट आया।जब गांव में जागेश्वर के आने की बात फैली तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जिस जागेश्वर को मृत मानकर 30 वर्ष पूर्व उसका अंतिम संस्कार किया था, उसे देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। ग्रामीणों ने बताया कि जागेश्वर के माता-पिता का निधन हो चुका है। अब उसके परिवार में सिर्फ चचेरा भाई है। वह अपने भाई के यहां ही ठहरा है। जागेश्वर ने गांववालों को बताया कि वह दिल्ली पहुंचा तो एक ईट-भट्ठे पर काम करने लगा। यहां भट्ठा संचालक ने उसे बंधुआ मजदूर बनाकर करीब पांच वर्षों तक काम करवाया। यहीं पर एक उसने एक महिला से शादी कर ली। भट्ठा मालिक से किसी तरह वह बचकर भाग निकला फिर वह एक ढाबे में पत्नी के साथ काम करने लगा।