यह प्रकृति बेहद विचित्र हैं जिसकी रचनाएं बहुत अनोखी होती हैं। ऐसी ही एक रचना के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं मेघालय में स्थित लिविंग रूट ब्रिज की जो पेड़ों की जड़ों से बना हुआ हैं और 180 साल पुराना हैं। यह पूरी तरीके से पेड़ों की जड़ों से बना है और आज भी उतनी मजबूती से टिका हुआ है जितना तब था जब उसे बनाया गया था। इस लिविंग रूट पुल का निर्माण रबड़ के पेड़ की जड़ों से हुआ है। जिन्हें Ficus elastica tree के नाम से जाना जाता है। अपनी इसी अद्भुत खूबी के लिए इस पुल को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी माना है।
अब आपके मन में सवाल तो जरूर उठ रहा होगा कि ऐसे अद्भुत पुल को बनाने के लिए काफी प्रशिक्षित इंजिनीयर्स का दिमाग लगा होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। मेघालय में लंबे वक्त से खासी और जयंतिया जनजाति के लोग रहते हैं जिन्होंने पेड़ की जड़ों से पुल बनाने की हुनर में महारत हासिल कर ली है।रिपोर्ट्स की मानें तो ये पुल 180 साल से भी ज्यादा पुराना है। इसकी खासियत ये है कि ये पुल पेड़ों की जिंदा जड़ों से धागे की तरह बुनकर बनाया गया है और इस पर एक साथ 50 लोग तक आराम से चल सकते हैं। इस पुल का निर्माण मेघालय के घने जंगलों से गुजरने वाली नदी को पार करने के लिए बनाया गया है।इस अद्भुत पुल की जड़ में कुछ का साइज 100 फीट तक है और इन्हें सही शेप लेने में 10 से 15 साल का वक्त लगता है और इन्हें सही शेप में आने के लिए 10 से 15 साल का वक्त लगता है। कई जड़ें पानी से लगातार मिलते-मिलते सड़ने लगती हैं मगर नई जड़ें पैदा होती जाती हैं। इन सारे पुलों में से सबसे खास है चेरापुंजी में स्थित डबल डेकर जड़ों का पुल, इसकी खासियत ये है कि इसे एक के ऊपर एक बनाया गया है।