हर देश की अपनी सुरक्षा होती हैं जिसके लिए थल, जल और वायु सेना का गठन किया जाता हैं जो सीमाओं पर तैनात होकर बाहरी शक्तियों से देश की रक्षा करें। भारत की सेना भी दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि किसी देश के पास नौसेना और वायुसेना ही ना हो तो कैसे वह अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा हैं। हम बात कर रहे हैं भूटान की जिसके पास न तो खुद की नौसेना है और न ही वायुसेना। इसके लिए यह एक दूसरे देश पर निर्भर है और वो देश कोई और नहीं बल्कि भारत है। ऐसे मामलों में भारत इस देश की मदद करता है।
इस देश का नाम है भूटान, जो हिमालय पर बसा दक्षिण एशिया का एक छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण देश है। भूटान में हर जगह सिर्फ पहाड़ और पहाड़ियां ही हैं। इसका धरातल दुनिया के सबसे ऊबड़-खाबड़ धरातलों में से एक है। भूटान का स्थानीय नाम 'ड्रुक युल' है, जिसका मतलब होता है 'अजदहा (ड्रैगन) का देश'। आपको बता दें कि भूटान की स्वतंत्रता सदियों से चली आ रही है। यह अपने इतिहास में कभी उपनिवेशित नहीं हुआ है।
भूटान में नौसेना के न होने की वजह ये है कि यह तिब्बत और भारत के बीच स्थित लैंडलॉक यानी भूमि आबद्ध देश है। वहीं, वायुसेना के क्षेत्र में भारत भूटान का ख्याल रखता है। यहां आर्मी है, जिसे रॉयल भूटान आर्मी कहा जाता है। यह रॉयल बॉडीगार्ड्स और रॉयल भूटान पुलिस का संयुक्त नाम है। भारतीय सेना ही इन्हें प्रशिक्षण देती है।
भूटान में 'गंगखार पुनसुम' नाम का एक पहाड़ है, जो यहां का सबसे ऊंचा पहाड़ बताया जाता है। 24,840 फीट की ऊंचाई वाले इस पहाड़ पर आज तक कोई भी इंसान चढ़ नहीं पाया है। असल में भूटान सरकार इस पहाड़ पर किसी को चढ़ने ही नही देती। इसके पीछे वजह ये है कि भूटान के लोग पहाड़ों को भगवान के समान मानते हैं। ऐसे में गंगखार पुनसुम भी उनके लिए एक पवित्र स्थल है। साल 1994 में भूटान सरकार ने पहाड़ों पर चढ़ने को लेकर एक कानून भी पास किया था, जिसके मुताबिक 20 हजार फीट तक की ऊंचाई वाले पहाड़ों पर ही पर्यटकों को चढ़ने की अनुमति होगी।
भूटान में तंबाकू पूरी तरह प्रतिबंधित है। साल 2004 में ही इसपर पूरे देश में रोक लगा दी गई थी। भूटान दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहां तंबाकू से बने उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। अगर कोई इसे खरीदते या बेचते पकड़ा जाता है तो उसके लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है।