अनोखा गांव जहां हैं फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएं, लेकिन कोई भी रहना नहीं चाहता

हर किसी कि चाहत होती हैं कि जिस क्षेत्र में वह रहे वो बेहद उन्नत हो और वहां तमाम तरह की सुविधाएं हो। आज इस कड़ी में हम आपको ऐसे ही एक गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएं हैं। हम बात कर रहे हैं उत्तर कोरिया का किजोंग-डोंग गांव की। लेकिन हैरान करने वाली बात हैं कि इस अनोखे गांव में कोई नहीं रहता हैं। हालांकि, इस गांव में आलीशान इमारतें, साफ-सुथरी सड़कें, पानी की टंकी, बिजली, स्ट्रीट लाइट समते तमाम तरह की सुविधाएं हैं।

बता दें कि किजोंग-डोंग गांव साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया के मिलिट्रीरहित जोन में स्थित है। साल 1953 में कोरियन वॉर के बाद हुए युद्ध विराम के दौरान इस गांव को बनाया गया था। कई लोग इस गांव को प्रोपगैंडा विलेज कहते हैं। लोगों का ये मानना है कि इस गांव का निर्माण इसलिए कराया गया ताकि उथ कोरिया में रह रहे लोगों को ऐसा लगे कि यहां के लोगों की लाइफ काफी लग्जरी है।

किजोंग-डोंग गांव के निर्माण का किस्सा भी काफी रोचक है। दरअसल, उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच जब कोरियाई युद्ध की अनौपचारिक समाप्ति हुई, उसी समय इस गांव का निर्माण हुआ। तीन साल तक चले इस युद्ध में 30 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इस दोनों देशों को अलग करने वाले क्षेत्र को डिमिलिट्राइज एरिया के रुप में जाना जाता है। युद्ध के दौरान दोनों देशों ने यहां से अपने नागरिकों को हटा दिया था।

युद्ध विराम की घोषणा के समय यह तय किया गया कि दोनों देश सीमा पर सिर्फ एक ही गांव को बरकरार रख सकते थे या फिर नया गांव बसा सकते थे। ऐसे में दक्षिण कोरिया ने अपनी सीमा में मौजूद फ्रीडम विलेज के रुप में जाना जाने वाला डाइसॉन्ग-डोंग को बरकरार रखा। यहां पर करीब 226 लोग रहते हैं। इतना ही नहीं इस गांव के लोगों को विशेष पहचान पत्र दिया गया है और रात 11 बजे के बाद कर्फ्यू लग जाता है।

दूसरी तरफ उत्तर कोरिया ने पीस विलेज के रुप में एक नया गांव किजोंग-डोंग का निर्माण करवाया। इस गांव को लेकर उत्तर कोरिया का ये दावा है कि यहां पर 200 निवासी हैं। बच्चों के लिए किंडरगार्टन, प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के अलावा यहां रह रहे लोगों के लिए अस्पताल भी है। लेकिन पर्यवेक्षकों के मुताबिक यह गांव एकदम सुनसान है और यहां कोई नहीं रहता है। लोगों में भ्रम पैदा करने के लिए रोजाना घरों में लाइट जलाई जाती हैं और सड़कों पर सफाईकर्मी झाड़ू लगाते नजर आते हैं। लेकिन इस गांव में रहने वाले लोग नहीं दिखाई देते हैं।