आज भी अनसुलझी है इजराइल के सबसे बड़े दुश्मन के मौत की गुत्थी

इजराइल और फिलिस्तीन के बीच का विवाद जगजाहिर हैं जो कि कई सालों से चला आ रहा हैं। इस विवाद के बीच एक ऐसा फिलिस्तीनी नेता सामने आया था जिसे समय के साथ इजराइल का सबसे बड़ा दुश्मन माने जाना लगा। हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं उसका नाम हैं यासिर अराफात जिसके मौत की गुत्थी आज भी अनसुलझी हैं। तो आइये जानते हैं इस नेता और इससे जुड़े रहस्य के बारे में।

दरअसल, कई संगठनों को मिलाकर 1964 में एक बड़ा संगठन फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) बनाया गया था, जिसका मकसद था फिलिस्तीनीयों के अधिकार हासिल करना। यासिर अराफात 1968 में इसी संगठन के मुखिया बने थे।

अराफात के नेतृत्व में उनके संगठन पीएलओ ने शांति के बजाय सशस्त्र संघर्ष पर ज्यादा जोर दिया, जिसके निशाने पर हमेशा से इजराइल ही रहा। विमानों का अपहरण, लोगों को बंधक बनाना और दुनियाभर में इजराइली ठिकानों को निशाना संगठन का मकसद बन गया था।

असल में अराफात इजराइल के अस्तित्व के सख्त खिलाफ थे, लेकिन 1988 में उनकी छवि अचानक ही बदल गई और सशस्त्र संघर्ष को बढ़ावा देने वाला यह शख्स संयुक्त राष्ट्र में शांति के दूत के रूप में नजर आया। पहली बार किसी राष्ट्र का नेतृत्व न करने वाले शख्स को ये सम्मान हासिल हुआ था। बाद में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

असल में अराफात इजराइल के अस्तित्व के सख्त खिलाफ थे, लेकिन 1988 में उनकी छवि अचानक ही बदल गई और सशस्त्र संघर्ष को बढ़ावा देने वाला यह शख्स संयुक्त राष्ट्र में शांति के दूत के रूप में नजर आया। पहली बार किसी राष्ट्र का नेतृत्व न करने वाले शख्स को ये सम्मान हासिल हुआ था। बाद में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

यासिर अराफात की मौत की खबर 11 नवंबर, 2004 को मिली थी। बताया गया कि उनकी मौत बीमारी की वजह से हुई, लेकिन कुछ ही महीनों बाद यह दावा किया गया कि उनकी मौत जहर से हुई है और इसका आरोप लगा इजराइल पर। इसके बाद जांच के लिए उनके शव को कब्र से निकाला गया। स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया कि उनके शव के अवशेषों में रेडियोधर्मी पोलोनियम-210 मिला था। हालांकि अब भी उनकी मौत दुनिया के लिए एक पहेली ही बनी हुई है, जिसपर से शायद ही कभी पर्दा उठ पाए।