नवरात्रि का त्योहार मातारानी को समर्पित हैं और पूरे नौ दिनों तक मातारानी के मन्दिरों में भक्तों की कतारें देखि जा सकती हैं। देशभर में मातारानी के कई अनोखे मंदिर स्थित हैं। आज हम भी आपको एक ऐसे ही अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने अनोखेपन के लिए जाना जाता हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहाँ भक्त चिठ्ठियों में अपनी मनोकामना लिखते है। यह मंदिर छग के बिलासपुर में स्थित हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
इन माता को चिट्ठी वाली देवी माता के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से चिट्ठी लिख कर अपनी मन्नतों की अर्जी लगाता है माता उसकी मनोकामना पूर्ण करती है।
वहीं अन्य मंदिरों से अलग माता को मिर्ची भजिया, प्याज भजिया, दही बडा, जलेबी, पुड़ी और हल्वे का भोग लगाया जाता है। बिलासपुर के चिंगराजपारा मे स्थित इस मंदिर में शंकर जी के साथ साथ कई देवी देवताओ की स्थापना की गई है और यहां वर्ष भर श्रद्धालु अपनी मनोकामना को लेकर आते हैं। इस मंदिर मे देवी माता के अनोखे स्वरुप के साथ पुराना इतिहास भी जुड़ा हुआ है।
सन 1962 में महागुरु के निर्देश के बाद भारत और चीन के विनाशकारी युद्ध से राष्ट्र की रक्षा के लिए सर्वप्रथम मध्यप्रदेश के दतिया में इस देवी माँ की स्थापना की गयी, जिसके बाद 2005 में पीताम्बर पीठ माता धूमावति मंदिर की स्थापना बिलासपुर में की गयी। मंदिर के पुरोहित ने बताया कि माता धूमावती की आराधना पुरे भारत में प्रसिद्द है क्योकि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से आता है माना जाता है कि माता धूमावती उनके कष्टों को मात्र तीन दिनों में दूर कर देती हैं।
इसका प्रमाण भारत चीन युद्ध से मिलता है। जब भारत और चीन का युद्ध हो रहा था तब महागुरु ने माता धुमवती का आवाहन कर अनुष्ठान किया और तीन दिनों के भीतर ही हमारे देश में चीनियों को हार का मुह देखना पड़ा।