आप जब भी कभी सिनेमा हॉल में फिल्म देखने जाते है तो फिल्म शुरू होने से पहले एक सर्टिफिकेट दिखाया जाता हैं जो उस फिल्म से जुड़ा होता हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि उस सर्टिफिकेट पर क्या लिखा होता हैं। यह बहुत ही कम लोग जानते होंगे। इसलिए अज हम आपके लिए फिल्म के इस सर्टिफिकेट से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे...
- इस फ़िल्म को किस तरह का सर्टिफिकेट मिला है। अगर ‘अ’ है तो इसका मतलब कोई भी इस फ़िल्म को देख सकता है।
- अगर इस सर्टिफिकेट पर ‘अव’ लिखा है तो इसका अर्थ है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चे इस फ़िल्म को माता-पिता के निर्देशन में देख सकते हैं।
- अगर फ़िल्म को ‘व’ सर्टिफिकेट मिला है तो मतलब 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए ये फ़िल्म अनुकूल नहीं है।
- जिन फ़िल्मों को ‘S’ सर्टिफिकेट मिलता है, वो स्पेशल ऑडियंस के लिए होती हैं जैसे डॉक्टर या साइंटिस्ट।
- इस भाग में फ़िल्म का नाम, भाषा, रंग और फ़िल्म के प्रकार का विवरण होता है।
- इस भाग में फ़िल्म की अवधि और फ़िल्म कितने रील की है, का वर्णन होता है।
- यहां फ़िल्म और सर्टिफिकेट की वैधता का वर्णन होता है।
- इस भाग में सर्टिफिकेट का नंबर, सर्टिफिकेट प्रकाशित होने का साल और सेंसर बोर्ड ऑफ़िस का पता होता है।
- नीचे दिए गए भाग में सेंसर निरिक्षण समिति के नाम होते हैं।
- इससे नीचे आवेदक और निर्माता का नाम होता है।
- ये सर्टिफिकेट का पहला भाग होता है। दूसरा भाग उन फ़िल्मों को मिलता है जिसमें सेंसर बोर्ड ‘कट्स’ के लिए कहता है।
- इस ‘ट्रायंगल’ का अर्थ है कि सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म में ‘कट्स’ के लिए कहा था।
- सर्टिफिकेट के दूसरे भाग में उन ‘कट्स’ का वर्णन होता है, जो सेंसर बोर्ड ने सुझाये हैं।
- ये सर्टिफिकेट फ़िल्म शुरू होने के पहले 10 सेकंड तक दिखाना अनिवार्य है।