आखिर कैसे पड़ा 'नवाबों के शहर' का नाम लखनऊ, जानें किस्से

आपने यह शब्द कई बार सुना होगा 'नवाबों का शहर' जो कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लिए इस्तेमाल होता हैं। लखनऊ को अपनी तहजीब और सुंदरता के लिए बहुत जाना जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि लखनऊ के नाम के पीछे भी रोचक किस्से हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं किस्सों के बारे में बताते हैं कि आखिर 'नवाबों के शहर' का नाम लखनऊ कैसे पड़ा। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

वर्ष 1850 में अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली, जिसके बाद लखनऊ के नवाबों का शासन हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त हो गया। दरअसल, लखनऊ उस क्षेत्र में स्थित है, जिसे एतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अयोध्या के राजा भगवान श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण को यह क्षेत्र सौंप दिया था। लक्ष्मण ने गोमती नगर के तट पर एक नगर बसाया, जिसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना गया। यही नाम बाद में बदल कर लखनऊ हो गया। नगर के पुराने भाग में एक ऊंचा टीला है, जिसे आज भी 'लक्ष्मण टीला' कहा जाता है।

लखनऊ के नामकरण को लेकर एक और कहानी खूब प्रचलित है। कहते हैं कि इस शहर का नाम महाराजा लाखन भर, जो कि 'लखन किले' के मुख्य कलाकार थे, उनके नाम पर रखा गया था। अब इसमें कितनी सच्चाई है, ये तो कहने-सुनने वाले लोग ही जानें।