इस तरह हुई थी 106 साल पहले प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत

साल 2020 चल रहा हैं और इससे पहले का इतिहास देश-दुनिया में बेहद ही रोचक रहा हैं जहां कई ऐसे मौके आए हैं जब कई युद्ध हुए हैं। लेकिन एक ऐसा युद्ध हुआ था जो समुद्र, धरती और आकाश तीनों जगह लड़ा गया था। हम बात कर रहे हैं 1914 से 1918 तक लडे गए प्रथम विश्व युद्ध की जिसे मुख्य रूप से यूरोप का महायुद्ध भी कहा जाता है। इसे विश्व युद्ध इसलिए कहा जाता हैं क्योंकि करीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई थी। दरअसल, इस लड़ाई में भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) और इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे 'विश्व युद्ध' कहा जाता है। इस दौरान लगभग एक करोड़ लोगों की मौत हुई थी जबकि दो करोड़ से ज्यादा लोग घायल हो हुए थे। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे थे।

इस युद्ध के समाप्त होते-होते दुनिया के चार बड़े साम्राज्यों रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया (तुर्क साम्राज्य) का विनाश हो गया था। इसके बाद यूरोप की सीमाएं फिर से निर्धारित हुईं और साथ ही अमेरिका भी एक 'महाशक्ति' के रूप में दुनिया के सामने उभरा।

प्रथम विश्व युद्ध के लिए किसी एक घटना को उत्तरदायी नहीं ठहरा सकते हैं। इस युद्ध को 1914 तक हुई विभिन्न घटनाओं और कारणों का परिणाम माना जा सकता है। हालांकि फिर भी इस युद्ध का तात्कालिक कारण तो यूरोप के सबसे विशाल ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की बोस्निया में हुई हत्या को ही माना जाता है। 28 जून, 1914 को उनकी हत्या हुई थी, जिसका आरोप सर्बिया पर लगाया गया था। इस घटना के एक महीने बाद ही यानी 28 जुलाई, 1914 को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया। इसके बाद इस युद्ध में विभिन्न देश शामिल होते गए और आखिरकार इसने विश्व युद्ध का रूप ले लिया।

11 नवंबर 1918 को आधिकारिक रूप से जर्मनी के सरेंडर करने के बाद युद्ध समाप्त हो गया। इसी कारण 11 नवंबर को प्रथम विश्व युद्ध का आखिरी दिन भी कहा जाता है। इसके बाद 28 जून 1919 को जर्मनी ने वर्साय की संधि, जिसे शांति समझौता भी कहते हैं, पर हस्ताक्षर किए, जिसकी वजह से उसे अपनी भूमि के एक बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ा। साथ ही उसपर दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबंदी लगा दी गई और उसकी सेना का आकार भी सीमित कर दिया गया। माना जाता है कि वर्साय की संधि को जर्मनी पर जबरदस्ती थोपा गया था। इस वजह से हिटलर और जर्मनी के अन्य लोग इसे अपमान मानते थे और माना जाता है कि यही अपमान दूसरे विश्व युद्ध की वजह भी बना।