होली का त्योंहार देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाने वाला त्योंहार हैं। होली के त्योंहार को मनाने की हर क्षेत्र की अपनी प्रथा हैं। कुछ प्रथाएँ तो ऐसी हैं जो बिलकुल ही अजीब हैं जिनका आध्यात्मिक महत्व भी होता हैं। ऐसी ही एक प्रथा हैं जो होलिका दहन से जुडी हैं। जिसमें होलिका दहन के समय लोग निर्वस्त्र होकर आते हैं और अन्न जलाते हैं। आजमगढ़ के एक गांव में भी होलिका दहन पर अनोखी मान्यता है। यहां निर्वस्त्र होकर होलिका की आग में कुछ लोग लिट्टी सेकतें हैं। खास बात यह कि इस लिट्टी को खाने के लिए दूसरे गांव तो छोड़िए दूसरे प्रदेश से भी लोग आते हैं।
इस पर लोगों का मानना है कि ऐसा करने से बड़े बड़े रोग दूर होते हैं। ये गाँव है सगड़ी तहसील क्षेत्र का झंझवा गांव जहाँ होलिका दहन पर इन प्रथाओं को माना जाता है। इन सब पर लोगों का काफी विश्वास है और इसी के चलते दूर दूर से लोग आते हैं लिट्टी खाते हैं।
लिट्टी खाने से तीन से पांच साल के अंदर मिरगी और फरका रोग जड़ से समाप्त हो जाता है। यहाँ के लोग बताते हैं कि होलिका दहन के बाद सुनसान हो जाने पर निर्वस्त्र होकर हम लोग जौ की लिट्टी पकाते हैं। इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि आपके आसपास कोई ना हो और ना कोई आपको रोक टोक सके। लिट्टी पकाने के बाद हम लोग पूरे गांव में घूम-घूम कर लोगों को लिट्टी खिलाते हैं।