हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा बहुत ही सुन्दर और गौरा हो। हांलाकि सभी बच्चे खूबसूरत ही पैदा होते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां बच्चों का गौरा होना मौत की सजा का कारण बनता है। लेकिन ऐसा क्यों होता है, आज हम आपको बताएँगे। इसके पीछे का कारण जान आप हैरान रह जाएंगे।
केंद्र शासित प्रदेश अंडमान में परम्परा के नाम पर जारवा जनजाति लोग अपने ही बच्चों को मार रहे हैं। जारवा जनजाति के लोगों के इस कृत्य से पुलिस भी परेशान है। यहां आज भी परिवार द्वारा गोरे रंग वाले बच्चों को हीन दृष्टि से ही देखा जाता है।
यहां अगर बच्चा काले रंग के बजाय थोड़ा भी गोरा पैदा हो जाए तो मां को डर लगने लगता है कि कहीं उसके समुदाय का ही कोई बच्चे की हत्या न कर दे। सबसे खास बात यह है कि जारवा जनजाति में नवजात को समुदाय से जुड़ी सभी महिलाएं अपना दूध पिलाती हैं। इसके पीछे जनजाति की मान्यता है कि इससे समुदाय की शुद्धता और पवित्रता बनी रहती है।
अफ्रीका मूल के करीब 50 हजार साल पुराने जारवा समुदाय के लोगों का वर्ण बेहद काला होता है। इस समुदाय में परम्परा के अनुसार यदि बच्चे की मां विधवा हो जाए या उसका पिता किसी दूसरे समुदाय का हो तो बच्चे को मार दिया जाता है।
अगर बच्चे का वर्ण थोड़ा भी गोरा हो तो कोई भी शख्स उसके पिता को दूसरे समुदाय का मानकर उसकी हत्या कर देता है और समुदाय में इसके लिए कोई सजा भी नहीं है।