किसी की भी मौत होती हैं तो उस घर का माहौल गमगीन हो जाता हैं, इसी के साथ ही पूरे मोहल्ले में भी शान्ति छा जाती हैं। सभी परिजनों का रोने से बुरा हाल हो जाता हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पिता की शवयात्रा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें उसकी बेटियों ने जमकर जश्न मनाया और बैंड बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली। लेकिन ऐसा क्यों हुआ इसकी वजह आपको हैरान कर देगी।
जिस शव यात्रा की बात कर रहे हैं वो मशहूर गुटखा कारोबारी हरिभाई लालवानी की है, जिंदगी और मौत को लेकर हरिभाई का मानना था कि ये तो भगवान के हाथ में है, इसलिए किसी के मौत पर मातम क्यो मनाया जाए। इनकी बेटियों ने शव यात्रा के दौरान बैंड बाजे के साथ जश्न मनाया है।
शव यात्रा के दौरान हरिभाई द्वार कहे गए कुछ शब्दों का जिक्र भी किया गया है, जिसमें लिखा है, “मैं बदलकर रूप चला हूं, आंसू ना बहाना, मेरी अंतिम यात्रा है ये, इसका जश्न मनाना’’।
आपको बता दें कि 90वे के दशक में गुटका किंग के तौर पर मशहूर हुए हरिभाई लालवानी एक मशहूर उद्योगपति थे। इनकी चार बेटियां है, जिन्हें उन्होने बेटों की तरह ही लालन-पालन किया है, ऐसे में बेटियों ने अपनी पिता की अंतिम इक्षा पूरी करते हुए उनकी अर्थी को कंधा देने के साथ-साथ मुखाग्नि भी दी।