एक गाँव जहा जाने मात्र से दूर होती है गरीबी

हर इंसान की ख्वाहिश होती है कि वह अपना पूरा जीवन सभी सुख-सुविधाओं के साथ व्यतीत करें। गरीबी दूर कर अमीरी का जीवन जीने के लिए व्यक्ति कड़ी मेहनत करता है लेकिन किसी के सितारे गर्दिश में होते हैं तो कोई क्या करें। तो हम बताते हैं वो क्या करें। वो माणा गाँव जाए और अमीर हो जाये। सुनने में अजीब लग रहा है न कि गाँव में जाने मात्र से कैसे आप अमीर बन जायेंगे। तो आइये हम बताते हैं आपको।

यह जगह है उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित देश का सबसे अंतिम गांव माणा। जिससे होकर भारत और तिब्बत के बीच वर्षों से व्यापार होता रहा था। पवित्र बद्रीनाथ धाम से 3 किमी आगे भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित इस गांव का नाम भगवान शिव के भक्त मणिभद्र देव के नाम पर पड़ा था। पंडित बताते हैं कि इस गांव में आने पर व्यक्ति स्वप्नद्रष्टा हो जाता है, जिसके बाद वह होने वाली घटनाओं के बारे में जान सकता है।

पंडित के मुताबिक, माणिक शाह नाम का एक व्यापारी था जो शिव का बहुत बड़ा भक्त था। एक बार व्यापारिक यात्रा के दौरान लुटेरों ने उसका सिर काटकर कत्ल कर दिया, लेकिन इसके बाद भी उसकी गर्दन शिव का जाप कर रही थी। उसकी श्रद्धा से प्रसन्न होकर शिव ने उसके गर्दन पर वराह का सिर लगा दिया। इसके बाद माना गांव में मणिभद्र की पूजा की जाने लगी।

पंडित बताते हैं कि मणिभद्र भगवान से बृहस्पतिवार को पैसे के लिए प्रार्थना की जाए तो अगले बृहस्पतिवार तक मिल जाता है। इसी गांव में गणेश जी ने व्यास ऋषि के कहने पर महाभारत की रचना की थी। यही नहीं महाभारत युद्ध के समाप्त होने पर पांडव द्रोपदी सहित इसी गांव से होकर ही स्वर्ग को जाने वाली स्वर्गारोहिणी सीढ़ी तक गए थे।