कोरोना की वजह से एक शिक्षक को करनी पड़ रही मजदूरी, मामला मन को पीड़ा पहुंचाने वाला

कोरोना की त्रासदी से पूरी दुनिया सामना कर रही हैं जिससे 77 लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और मौत का आंकड़ा 4 लाख से काफी ऊपर निकल चुका है। लेकिन कोरोना से बड़ा डर अब लोगों के लिए अपना गुजारा करना बन गया हैं। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा हैं और गुजारे के लिए काम भी नहीं मिल पा रहा हैं। ऐसा ही मन को पीड़ा पहुंचाने वाला दृश्य देखने को मिला केरल के एक शिक्षक के साथ जिन्हें नौकरी जाने के बाद मजदूरी कर घर चलाना पड़ रहा हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक, पालेरी मीथल बाबू की उम्र 55 वर्ष है। वो केरल के ओंचियाम में रहते हैं। वो बीते 30 वर्षों से बच्चों को स्कूल में अंग्रेजी पढ़ा रहे थे। लेकिन अब लॉकडाउन के बाद और कोरोना के जारी कहर के चलते स्कूल तो खुल नहीं रहे। इसलिए रोजी रोटी कमाने के लिए उन्हें एक कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करनी पड़ रही है।

इस बारें में वो कहते हैं, ‘मुझे नहीं पता कि कॉलेज कब खुलेंगे, मेरा परिवार है जिसके लिए मुझे कमाना है।’ आपको बता दें कि बाबू हायर सेकेंडरी स्टूडेंट्स को इंग्लिश पढ़ाते हैं, वडाकरा के Parallel College में। उन्होंने मई में एक कंस्ट्रक्शन साइट पर जाना शुरू किया। यहां उन्हें सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर के 3 बजे तक काम करना पड़ता था। उन्हें दिहाड़ी के 750 रुपये मिलते। वो बताते हैं कि कंस्ट्रक्शन सेक्टर काफी डल है। यहां उन्हें सिर्फ सात दिन ही काम मिला।

बता दें की बाबू अपनी कहानी बताते हुए कहते हैं कि उन्होंने गरीबी में पढ़ाई पूरी की है। ‘मैंने अपनी बीए इंग्लिश से की थी। फिर मैं चेन्नई चला गया। वहां मुझे एक होटल में स्पायलर की जॉब मिल गई। वहां रहकर मैंने इग्लिश पढ़नी शुरू कर दी। फिर parallel college में नौकरी मिल गई।’बाबू ने होम लोन भी ले रखा है। उनके बच्चों की पढ़ाई का भी खर्चा है। वो बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने ऐसे मजदूरी की थी। उनका बड़ा बेटा सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। जबकि छोटा बेटा 11वीं में पढ़ता है। यहां तक कि बाबू की उनके कई स्टूडेंट्स ने मदद भी की है। उन्हें राशन भी मुहैया करवाया। पर बाबू खुद भी मेहनत करते रहना चाहते हैं। उनकी कहानी बताती है कि कोशिश जारी रखो। चाहे कुछ भी हो। कभी हार मत मानो।