अक्सर इतिहास में ऐसी कुछ घटनाएं हुई हैं जो सभी को झकझोर देती हैं और जहन में बस जाती हैं। ऐसी ही एक सनसनीखेज घटना छह अक्तूबर, 1981 को मिस्र के राष्ट्रपति के साथ हुई थी जहां उन्हें विजय परेड दिवस के मौके पर गोलीबारी में मार दिया गया। इस राष्ट्रपति का नाम है मोहम्मद अनवर सादात। सदात साल 1970 में राष्ट्रपति बने थे। कहा जाता है कि उन्होंने अपने ही 'डेथ वारंट' पर साइन कर दिया था। क्योंकि सदात मिस्र की अर्थव्यवस्था को सुधारना चाहते थे और इस्रायल से लड़ाई खत्म करना चाहते थे। लेकिन उनका यह फैसला कट्टरपंथी समूह को पसंद नहीं था।
कट्टरपंथी समूह ने मिस्र की सेना में भी सेंध लगा दी और कई जवानों और अफसरों को अपनी तरफ मिला लिया। इसके बाद उन्होंने प्लान बनाया राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या का और इसके लिए छह अक्तूबर, 1981 का दिन चुना गया। इस दिन मिस्र का विजय परेड दिवस होता है।
चूंकि आमतौर पर राष्ट्रपति अनवर सादात किसी भी कार्यक्रम में जाते थे तो बुलेट-प्रूफ जैकेट पहन कर जरूर जाते थे, लेकिन विजय परेड दिवस में जाने के लिए उन्होंने जान-बूझकर बुलेट-प्रूफ जैकेट नहीं पहनी। इसके पीछे वजह ये बताई जाती है कि उन्होंने परेड में भाग लेने के लिए इंग्लैंड के एक दर्जी से अपनी ड्रेस सिलवाई थी और वो नहीं चाहते थे कि बुलेट-प्रूफ जैकेट की वजह से उनके ड्रेस की शक्ल बिगड़ जाए और वो मोटे दिखें।
राष्ट्रपति अनवर सादात बिना बुलेट-प्रूफ जैकेट पहने ही परेड में चले गए। वहां कई देशों के मेहमान आए हुए थे, साथ ही मिस्र की सभी सेनाओं के प्रमुख भी बैठे हुए थे। राष्ट्रपति के चारों तरफ सुरक्षाकर्मी मौजूद थे। परेड शुरू हुआ। पहले लड़ाकू विमानों का करतब चला। फिर परेड ग्राउंड पर तोप आने वाले थे, लेकिन इस बीच अचानक परेड ग्राउंड में कुछ ट्रक आ गए। ट्रक भी परेड का ही हिस्सा थे, लेकिन उन्हें बाद में आना था। हालांकि उस समय किसी को भी इस बात पर कोई शक नहीं हुआ।
परेड ग्राउंड में सभी ट्रक अपने रूट पर चलने लगे, लेकिन तभी एक ट्रक राष्ट्रपति की ओर मुड़ गया। इसपर भी किसी को कोई शक नहीं हुआ, क्योंकि लोगों को लगा कि शायद यह भी परेड का ही हिस्सा हो। इसी बीच अचानक ट्रक से किसी ने राष्ट्रपति की तरफ गोले दागे और तभी लेफ्टिनेंट खालिद इस्लाम बोली सहित करीब 15 हथियारबंद लोग ट्रक से उतरे और गोलियां बरसाते हुए राष्ट्रपति की तरफ बढ़ने लगे। जब तक सुरक्षाकर्मी हरकत में आते, तब तक राष्ट्रपति अनवर सादात गोलियों से छलनी हो चुके थे। बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी मौत हो गई।
राष्ट्रपति की हत्या में शामिल लेफ्टिनेंट खालिद को मौके पर ही सुरक्षाकर्मियों ने पकड़ लिया और उससे पूछताछ की गई कि इस घटना के पीछे कौन-कौन लोग शामिल थे। खालिद से यह कहकर पूछताछ की जा रही थी कि राष्ट्रपति अनवर सादात अभी जिंदा हैं। इसपर खालिद ने बताया कि मैंने खुद उनपर 34 गोलियां दागी थीं, उनका बचना नामुमकिन है। यह घटना आज भी दुनिया की सबसे सनसनीखेज घटनाओं में से एक है।