लॉकडाउन में शरीर पर हर दिन एक नया टैटू बना टाइमपास कर रहा शख्स

बढ़ते कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते देश-दुनिया में लॉकडाउन किया गया हैं और लोगों को घरो में ही रहने की हिदायत दी गई हैं। ऐसे में लोग अपने घरों में रहकर टाइमपास के लिए अपने पसंदीदा काम की मदद ले रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका पसंदीदा काम आपको हैरानी में डाल सकता हैं। हम बात कर रहे हैं लंदन के वॉथैम्स्टो में रहने वाले क्रिस वुडहेड की जो एक टैटू आर्टिस्ट हैं और पिछले 40 दिनों से रोजाना खुद से ही अपने शरीर पर एक नया टैटू बना रहे हैं। अब सिर्फ उनका चेहरा ही एक ऐसा अंग है, जहां टैटू नहीं बना है। इसके अलावा पूरे शरीर पर उन्होंने टैटू बना रखा है।

क्रिस बताते हैं कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान टाइमपास करने और तनाव दूर करने के लिए हर दिन एक टैटू बनाने की शुरुआत की थी। हालांकि उन्हें पहले से ही इसका शौक था। वह जब 18 साल के थे, तभी से अपने शरीर पर टैटू बनवा रहे हैं। उन्होंने ब्रिटेन के जाने-माने टैटू आर्टिस्ट डंकन एक्स को अपना प्रेरणास्रोत बताया है, क्योंकि डंकन के भी पूरे शरीर पर टैटू बने हुए हैं। क्रिस जब 19 साल के थे, तब पहली बार डंकन ने उनके शरीर पर एक टैटू बनाया था। इसके बाद तो उनके एक दोस्त ने टैटू बनाने के लिए उनके शरीर का इस तरह इस्तेमाल किया, जैसे वो कोई कैनवास हो।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्रिस हर रोज दोपहर दो बजे से चार बजे तक सोफे पर बैठकर अपने शरीर का वो हिस्सा ढूंढते हैं, जहां वो एक नया टैटू बना सकें। ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन के दौरान क्रिस बेमतलब ही अपने शरीर पर टैटू बना रहे हैं। उनके हर टैटू में कुछ न कुछ मतलब जरूर छुपा हुआ होता है। किसी में लॉकडाउन खत्म होने का सवाल होता है तो किसी में मेडिकल स्टाफ को धन्यवाद लिखा होता है। यहां तक कि उनके पैर के तलवों तक के टैटू में भी संदेश लिखा हुआ है।

क्रिस बताते हैं कि वह टैटू बनाने के लिए पुरानी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इस तकनीक से आज के समय में इस्तेमाल होने वाली टैटू गन के मुकाबले कम दर्द होता है। उनका मानना है कि टैटू बनाना एक थेरेपी की तरह है, जिससे उन्हें संतुष्टि मिलती है। अब सिर्फ क्रिस को लॉकडाउन हटने और कोरोना के पूरी तरह खत्म होने का इंतजार है, ताकि लोग फिर से एक नई जिंदगी की शुरुआत कर सकें।