भारतीय रेलवे के एसी कोच में सफर करने वाले यात्रिओं को सुविधा के लिए बेडशीट, तकिया और कंबल दिए जाते हैं। लेकिन यहां मिलने वाले कंबल को लेकर जो बात सामने आई है उसको जानने के बाद शायद की आप आगे से कंबल का इस्तेमाल करेंगे।
हाल ही में लगाई एक आरटीआई में ये बात सामने आई है कि ट्रेन में मिलने वाली चादर और तकिए पर लगी खोली को रोजाना इस्तेमाल के बाद धोया जाता है लेकिन जो ब्राउन और काले रंग के कंबल दिए जाते है उनकी सफाई महीने में महज एक बार ही होती है।
हाल ही में 64 वर्षीय कार्यकर्ता जतिन देसाई की ओर से दायर की गई आरटीआई के जवाब में यह बात सामने आई है कि रेलवे के एसी कंपार्टमेंट में मिलने वाले कंबल महीने में सिर्फ एक बार धुले जाते हैं। इन कंबलों का इस्तेमाल सभी प्रीमियम ट्रेनों में भी किया जाता है।
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एक हिंदी दैनिक की रिपोर्ट के अनुसार जतिन देसाई ने आरटीआई दायर करने के पीछे एक खास वजह भी बताई है। उन्होंने बताया कि वह एक बार दिल्ली से मुंबई ट्रेन में सफर कर रहे थे और इस दौरान उन्हें जो कंबल मिला वह काफी गंदा था और उसमें कई छेद भी थे। जतिन के साथ यात्रा कर रहे उनके मित्र अपना कंबल लेकर खुद आए थे जब जतिन ने उनसे इसका कारण पूछा तो उनके दोस्त ने कहा कि उन्हें रेलवे के कंबल पर भरोसा नहीं है। इसके बाद जतिन ने आरटीआई डालकर भारतीय रेलवे से इससे जुड़ा जवाब मांगा।
जतिन बीते फरवरी महीने में आरटीआई डाली थी जिसके जवाब में बात सामने आई थी कि काले और ब्राउन कंबल के महीने में एक बार धुलते है। रेलवे अधिकारी का इस बारे में कहना है कंबल के ऊनी होने की वजह से इन्हें सिर्फ 50 बार ही धोया जा सकता है।
वैज्ञानिकों के लिए अनसुलझा राज बना यह दिव्यशक्ति पुरुष, कोमा में रहते हुए डॉक्टर को बताया खुद का इलाज अनोखा ऑफर : बिना मेहनत के सोते-सोते कमाए लाखों रूपयेयूं बरतें सावधानीअगर आप रेलवे के कंबल का इस्तेमाल करते हैं तो ध्यान रखें कि एसी कोच में आपको दो चद्दर भी दी जाती है। कंबल को ओढ़ने से पहले सफेद रंग की चादर जरूर ओढें। कई बार एसी कोच में इतनी सर्दी नहीं होती कि कंबल का इस्तेमाल किया जाए। अगर ऐसा है तो कंबल से दूरी बनाए रखना ही फायदेमंद है।
बता दे, रेलवे दुनिया की सबसे बड़ी ऑर्गनाइजेशन में से एक कहा जाता है लेकिन व्यवस्था और सुविधा के मामले में इसकी कई बार आलोचना होती है।