इंसान के दिमाग में क्या चल रहा हैं इसके बारे में कुछ भी कह पाना बहुत मुश्किल होता हैं। आपने कई सीरियल किलर के बारे में सुना होगा जो अपनी सनक के चलते इन्साओं का कत्ल करते हैं। लेकिन आज हम आपको जिस सीरियल किलर के बारे में बताने जा रहे हैं वह इंसानों का नहीं बल्कि बिल्लियों का कत्ल करता था। जी हां, यह सुनने में बड़ा अजीब लगता है, लेकिन कुछ साल पहले ब्रिटेन के अलग-अलग इलाकों में कुछ ऐसी ही खौफनाक घटनाएं घटी थीं, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इन घटनाओं की वजह से ब्रिटेन के लोग खौफ में जीने लगे थे।
ये अजीब सीरियल किलर पालतू जानवरों को अपना शिकार बनाता था, जिसमें खरगोश और उल्लू के बच्चे भी शामिल हैं, लेकिन इसमें पालतू बिल्लियों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसने पूरे ब्रिटेन में 400 से ज्यादा बिल्लियों और कई अन्य जीव-जंतुओं की बेरहमी से हत्या की और उनके शव क्षत-विक्षत कर दिए। इस मामले की शुरुआत साल 2014 में दक्षिण लंदन के क्रॉयडन शहर से हुई थी। इसलिए मीडिया ने इसे 'क्रॉयडन कैट सीरियल किलर' का नाम दिया। इसे 'एम-25 कैट किलर' के नाम से भी लोग जानते हैं।
शुरुआत क्रॉयडन से हुई, लेकिन धीरे-धीरे बिल्लियों की बेरहमी से हत्या की वारदातें पूरे लंदन में फैल गईं और देखते ही देखते इस कैट सीरियल किलर की दहशत पूरे ब्रिटेन में फैलने लगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसा माना जा रहा था कि यह सीरियल किलर पालतु पशुओं को खाने-पीने की चीजों से ललचा-फुसलाकर अपने पास बुलाता और फिर धारदार हथियार से वार कर उनकी हत्या कर देता। इसके बाद वह सबूत मिटाने के लिए उनके शव को बुरी तरह क्षत-विक्षत कर देता।
इस अजीब सीरियल किलर को पकड़ने के लिए दिसंबर 2015 में पुलिस टीम गठित कर एक विशेष ऑपरेशन लांच किया गया, जिसका नाम 'ताकाहे' रखा गया था। इतना ही नहीं सीरियल किलर के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के लिए पुलिस ने उन बिल्लियों का पोस्टमॉर्टम भी कराया, जिनकी हत्या की गई थी। कहते हैं कि महज 10 बिल्लियों के पोस्टमॉर्टम पर ही 7500 पाउंड यानी करीब सात लाख रुपये खर्च हो गए थे। दिसंबर 2017 में, पुलिस ने उसी साल अगस्त से नवंबर तक नॉर्थम्प्टन के आसपास हुई पांच बिल्लियों की मौत को उसी सीरियल किलर से जोड़ा, लेकिन बाद में पुलिस ने कहा कि नॉर्थम्प्टन में हुई बिल्लियों की मौतें एक दूसरे से जुड़ी नहीं थीं। हालांकि इस मामले में पुलिस ने एक 31 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार जरूर किया था, लेकिन सबूत न होने की वजह से बाद में उसे छोड़ दिया।
लगभग तीन साल की जांच के बाद साल 2018 में मेट्रोपोलिटन पुलिस ने इस मामले को यह कहकर बंद कर दिया कि पालतू जानवरों की खासकर बिल्लियों की मौत सड़क हादसों में या फिर किसी जंगली जानवर के हमले में हुई है। हालांकि लोग यह मानने के लिए तैयार नहीं थे। यहां तक कि कुछ पुलिसवाले भी डिपार्टमेंट की इस थ्योरी से सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि इसके पीछे कोई न कोई इंसान ही है। अब बात चाहे जो भी हो, लेकिन वो कौन है जो न जाने कब दबे पांव आता है, बिल्लियों और अन्य पालतू जानवरों को मौत की नींद सुलाता है और फिर चुपके से चला जाता है, ये अब तक रहस्य ही बना हुआ है।