थामसन दंपती ने अपने नए घर को नया रूप देने के लिए ओक (चीड़) के तीन पेड़ों को काट दिया। ऐसा करने पर सोनोमा कोर्ट ने उन्हें दोषी माना और 4 करोड़ रुपए हर्जाना भरने का आदेश दिया। जज पैट्रिक ब्राडेरिक ने अपने 56 पेज के फैसले में ट्रस्ट की सराहना करते हुए कहा कि पेड़ों को काटने से पर्यावरण को जो क्षति पहुंची है, वह असहनीय है। जिस 34 एकड़ की संपत्ति से पेड़ काटे गए, वह थामसन दंपती की ही है। दरहसल, इन तीन पेड़ों में से एक पेड़ 180 साल पुराना था। थामसन दंपती का कहना है कि उनकी मंशा उन पेड़ों को अपने नए घर में फिर से लगाने की थी, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद पेड़ दोबारा नहीं लग सके। दंपती ने कोर्ट में दलीलें दीं कि अनजाने में पेड़ों को क्षति पहुंची, लेकिन ट्रस्ट के वकील सराह सिगमैन ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया कि जब ट्रस्ट ने दंपती से इस बारे में सवाल किए को उनका रुख आहत करने वाला था। दोनों ने ऐसा बर्ताव किया कि मानो उन्हें पेड़ों के कटने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
दंपती ने कहा- बिजली की तारों से बचाने के लिए काटे पेड़दंपती ने अपने बचाव में कहा कि वे पेड़ों को बचाने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि इसके पास से बिजली की हाईटेंशन लाइनें गुजर रही थीं। ट्रस्ट ने कोर्ट को बताया कि दंपती ने अपने नए घर के लिए जो नक्शा तैयार कराया था, उसमें रास्ते में चीड़ के दो पेड़ लगाने की बात कही गई थी।
कोर्ट ने माना- दंपती ने जांच को प्रभावित करने की कोशिश कीथामसन दंपती ने अपने बचाव में दर्जनों दलीलें दीं, लेकिन कोर्ट ने उन्हें पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के मामले में दोषी मानते हुए जुर्माना भरने का आदेश दिया। कोर्ट का कहना था कि दंपती ने न केवल अपराध किया, बल्कि ट्रस्ट की जांच को प्रभावित करने की कोशिश भी की।
2014 में पेड़ों को काटने की घटना सामने आई थीदंपती के वकील रिचर्ड फ्रीमैन ने कहा कि 2014 में पेड़ों को काटने की घटना सामने आई थी। ट्रस्ट को पड़ोसियों से पता चला था कि बुलडोजर और कुछ भारी भरकम मशीनों के जरिए पेड़ों को काटा गया। इसमें बहुत से अन्य पेड़ों को क्षति पहुंची थी। ट्रस्ट ने दिसंबर 2014 में दंपती को नोटिस भेजा था। दंपती की टालमटोल के बाद ट्रस्ट से केस दायर कर दिया। उसके बाद सितंबर 2018 में 19 दिन ट्रायल चला।