कर्मचारी को हाथ धोने के लिए मजबूर करना कंपनी को पड़ा महंगा, देने पड़ेंगे 43,81,495 रुपये

जब भी कभी कोई कर्मचारी नौकरी के लिए जाता हैं तो वहां के नियमों की पालना करना उसका कर्तव्य बनता हैं। लेकिन कई बार ऐसे नियम होते हैं जो शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का कारण भी बन जाते हैं जिसका कंपनी को नुकसान भी झेलना पड़ सकता हैं। इसका एक मामला देखने को मिला एक बेकरी में जहां एक कर्मचारी को हाथ धोने के लिए मजबूर करना कंपनी को महंगा पड़ गया और कंपनी को 43,81,495 रुपये का हर्जाना देना पड़ गया।

मिली जानकारी के तहत 59 साल के सुसान रॉबिन्सन ने वेस्ट यॉर्कशायर के वेकफील्ड में एक फैक्ट्री स्पीडीबेक में काम किया, जो बड़ी सुपरमार्केट के लिए मफिन, कपकेक और अन्य बेक किए गए सामान बनाती है। कंपनी ने उन्हें काम करने के लिए दिन में लगभग 20 बार अपने हाथ धोने के लिए मजबूर किया गया और इसी के चलते उनके हाथ में त्वचा से संबंधी बीमारी हो गई। जब इस बीमारी को लेकर उन्होंने कंपनी से शिकायत की तो रॉबिन्सन की दलीलों को उसके नियोक्ता द्वारा नजरअंदाज किया गया। इसके बाद उनके हाथ में फफोले हो गए और उससे खून बहने लगा।

वहीँ करीब छह महीने के भीतर रॉबिन्सन ने देखा कि उसके हाथ लाल और खुजलीदार हो रहे थे, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें दिन में 17 बार धोने के लिए कहा गया। वहीँ दूसरी तरफ पोंटेफ्रैक्ट अस्पताल में जांच होने के बाद यह पुष्टि हुई की उनके हाथ की त्वचा के रासायनिक संपर्क में बार बार आने की वजह से उन्हें एक प्रकार का एक्जिमा हो गया था। जब रॉबिन्सन को यह पता चला तो उन्होंने कंपनी से हाथ की सुरक्षा के लिए खुद कई सुझाव दिए जिसमें बैरियर क्रीम और पतले दस्ताने शामिल थे। हालाँकि पके हुए भोजन के दूषित होने की आशंका के कारण कंपनी नहीं मानी। अंत में रॉबिन्सन ने अपने संघ बेकर्स फूड एंड अलाइड वर्कर्स यूनियन (BFAWU), के साथ ही थॉम्पसन सॉलिसिटर का रुख किया और दोनों संगठनों ने उसे मुआवजे में कंपनी के खिलाफ 50,000 यूरो जीतने में मदद की।