महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। चीन में अब तक इस वायरस की वजह से 722 लोगअपनी जान गंवा चुके है और 34546 मामले सामने आ चुके हैं। इस बीच कोरोना के जानलेवा वायरस के गढ़ वुहान में मरीजों को इससे लड़ने के लिए खाने में कछुए का मांस दिया जा रहा है। वुहान के अस्पतालों के इस फैसले पर विशेषज्ञ गंभीर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि माना जाता है कि चमगादड़ का सूप पीने से कोरोना का वायरस इंसानों में पहुंचा।
हालाकि, चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया कि कोरोना वायरस चमगादड़ या सांप खाने से इंसानों में नहीं पहुंचा, बल्कि इसके पीछे पैंगोलिन (विशालकाय छिपकली) है। साउथ चाइना एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि पैंगोलिन की वजह से इंसानों में कोरोना वायरस पहुंचा। चीनी शोधकर्ताओं ने दावा किया कि जीनोम सिक्वेंस के आधार पर देखें तो कोरोना वायरस पेंगोलिन से 99 प्रतिशत मिलता है। उन्होंने कहा कि पैंगोलिन से यह वायरस चमगादड़ और चमगादड़ों से यह वायरस इंसानों में पहुंचा।
डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान के अस्पतालों में अलग-थलग रखे गए मरीजों को कछुए का मांस रात के खाने में परोसा जा रहा है।
चीनी मीडिया में जारी एक विडियो में एक व्यक्ति ने दावा किया कि आज के खाने में नरम कवच वाले कछुए का मांस भी दिया गया। चीन के परंपरागत चिकित्सा विज्ञान में कछुए के मांस को पोषक तत्वों से भरा माना जाता है।
चीनी लोगों का मानना है कि उनके देश में पाए जाने वाले कछुए प्रोटीन से भरे होते हैं और इससे बीमार लोग तेजी से ठीक होते हैं। इन कछुओं को जंगल या प्रजनन केंद्रों से लाया जाता है और लजीज सूप बनाने के लिए पानी के अंदर डाल दिया जाता है।