तकनिकी समय के साथ बढ़ती ही जा रही हैं और कई नए अविष्कार देखने को मिल रहे हैं। लेकिन क्या तकनिकी अब प्रकृति पर हावी होने लगी हैं। क्योंकि एक तकनिकी ऐसी विकसित हो रही हैं जिसमें आने वाले समय में मां नहीं बल्कि रोबोट बच्चे पैदा करेंगे। यह मुमकिन हो पाएगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से। विज्ञान इतना आगे बढ़ गया है कि वैज्ञानिक अब कृत्रिम भ्रूण बनाएंगी और इनका ख्याल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दाई रखेंगी। ये दाई कृत्रिम भ्रूण की हर हलचल पर नजर रखेंगी और उनकी देखभाल करेंगी। इस समय यह प्रयोग चूहों के कृत्रिम भ्रूण पर किया जा रहा है। आने वाले समय में इंसानी भ्रूणों की देखरेख रोबोट्स भी कर सकते हैं। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय कानून ऐसे प्रयोग करने की अनुमति नहीं देता है। ऐसा हो सकता है की चूहों के अलावा अन्य जीवों पर इस तरह के प्रयोग हो सकते हैं। सफलता के आधार पर इंसानों पर प्रयोग भविष्य में ही हो सकता है।
चीन के शुझोउ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है की भ्रूण से लेकर बच्चे के जन्म लेने तक उनका ख्याल ये AI दाई रखेंगी। ऐसे में महिला को गर्भवती होने की भी कोई आवश्यकता नहीं है। महिला अपने बच्चे को कृत्रिम भ्रूण में बड़ा होते देख सकेगी। अभी ये प्रयोग फिलहाल चूहों पर चल रहा है। ये AI दाई चूहों के कृत्रिम भ्रूणों पर नजर रख रही है और उनकी देखभाल कर रही है। इस रिपोर्ट को जर्नल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस प्रयोग से हमें जीवन को समझने में मदद मिलेगी। आने वाले समय में हमें इंसानी भ्रूण के विकास को और नजदीक से समझने में मदद मिलेगी। इससे प्रसव के दौरान होने वाली मौतों को भी कम किया जा सकेगा और जन्म संबंधी अन्य परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा।वैज्ञानिकों ने बताया कि विट्रो कल्चर सिस्टम की मदद से इन भ्रूणों को विकसित किया जा रहा है। इससे हमें शरीर में आने वाले बदलाव और विकास के तरीकों को भी समझने में मदद मिलेगी। जिन AI दाइयों को तैयार किया जा रहा है वो इन भ्रूणों के विकास और उनकी सेहत पर नजर रखेंगी और जरूरत पड़ने पर डॉक्टरों को सूचित भी करेंगी। चीन के वैज्ञानिकों ने लॉन्ग टर्म एंब्रियो कल्चर डिवाइस विकसित की है। इस डिवाइस में पोषक तरल पदार्थों का जटिल सिस्टम है। इसी सिस्टम में भ्रूण विकसित होता है। इस सिस्टम में ऑक्सीजन की भी सप्लाई दी गई है जिससे भ्रूण को विकसित होने में मदद मिलती है।