नदी किनारे हो रही थी रेत की खुदाई, तभी प्रकट हुआ भगवान शिव का भव्य मंदिर

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में मंगलवार को नदी के किनारे मंदिर जैसा ढांचा मिला है। स्थानीय लोगों का दावा है कि ये ऐतिहासिक शिव मंदिर है और 200 साल पुराना है। इस मंदिर का पता उस वक्त चला जब लोग नदी के किनारे रेत निकालने (Sand Mining) के लिए खुदाई कर रहे थे। ये घटना पेरुमलापाडु गांव के पास पेन्ना नदी की है। लोगों का कहना है कि भगवान परशुराम ने 101 मंदिर बनवाये थे। उन्हीं में से एक मंदिर का निर्माण पेन्ना नदी के किनारे किया गया था। फिलहाल इस मंदिर की पुरी जानकारी इकट्ठा की जा रही है। फिलहाल, खुदाई के दौरान मंदिर का ऊपरी हिस्सा दिखा है। ऐसे में अब चारों तरफ से मिट्टी निकाले जाने का काम चल रहा है।

अंग्रेजी अखबार द हिंदू से बातचीत करते हुए पुरातत्व विभाग के सहायक निदेशक रामसुब्बा रेड्डी ने बताया कि पेन्ना नदी अपना रास्ता बदलती रहती है। ऐसे में हो सकता है कि ये मंदिर पानी के अंदर डूब गया हो। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि ये मंदिर 1850 की बाढ़ में नीचे दब गया हो।

अभी इस मंदिर के बारे में पुरातत्वविदों के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। मौके पर जाकर डिटेल स्टडी करेंगे, तब जाकर मंदिर के सही इतिहास के बारे में जानकारी सामने आएगी।

500 साल पुराना मंदिर अचानक निकल आया बाहर

बता दें कि पिछले हफ्ते ओडिशा में भी लोग नदी के अंदर मंदिर देखकर हैरान रह गए थे। लोगों ने नदी के अंदर से 500 साल पुराने भगवान विष्णु के मंदिर को निकलते देखा। इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) की पुरातत्वविदों की टीम ने बताया कि इस मंदिर को उन्होंने ही खोजा है और इस मंदिर की बनावट को देखने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह 15वीं या 16वीं सदी का होगा। इस मंदिर में गोपीनाथ (भगवान विष्णु) की प्रतिमा विराजमान थी, जिसे गांव के लोग अपने साथ ले गए थे। इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज की पुरातत्वविदों की टीम ने बताया कि ओडिशा के नयागढ़ स्थित बैद्येश्वर के पास महानदी की शाखा पद्मावती नदी के बीच मंदिर का मस्तक साफ दिखाई दे रहा है। आर्कियोलॉजिस्ट दीपक कुमार नायक ने बताया कि उनकी टीम को इसकी जानकारी मिली थी कि जिस जगह पर अब पद्मावती नदी है वहां पर पहले गांव था और काफी मंदिर थे।