शादी किसी भी व्यक्ति की जिंदगी का अहम पडाव होता है जब वह किसी का हाथ थामकर अपनी पूरी जिंदगी उसके साथ बिताने के वादे करता हैं। लेकिन क्या आपने कभी कल्पना की हैं कि बिना दुल्हन के शादी संपन्न हुई हो। जी हाँ, आज हम आपको गुजरात की ऐसी ही एक शादी के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनेआप में अनोखी हैं और बिना दुल्हन के संपन्न हुई हैं। इस शादी की पूरी सच्चाई आपके चेहरे पर भी एक मुस्कान ला देगी। तो आइये जानते हैं इस अनोखी शादी के बारे में।
यह अनोखी शादी 10 मई को गुजरात के साबरकांठा से 22 किलोमीटर दूर स्थित चंपलानार में हुई। 20 साल के अजय बरोट की इच्छा थी कि उनकी शादी बहुत धूम-धाम से हो। अजय के पिता ने उसकी इच्छा को पूरा भी किया। शादी में सैकड़ों लोग जुटे। सारी रस्में निभाई गईं। बारात निकली। नाच-गाना हुआ। बस अगर कुछ कमी थी, तो वह दुल्हन की। दुल्हे अजय बरोट की शादी का रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों ने खूब आनंद लिया।
बरात से पहले यहां गरबा का आयोजन किया गया। इसके बाद दूल्हा शेरवानी पहनकर सजधज कर शादी के लिए तैयार हुआ और यह शादी संपन्न हुई। दरअसल अजय लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) से पीड़ित है। उम्र के हिसाब से अजय का दिमाग विकसित नहीं हुआ है। अजय को बचपन से ही शादी का शौक था।
बचपन से ही अजय जब भी किसी की शादी देखता तो घर वालों से यही पूछता कि मेरी शादी कब होगी। किसी भी शादी को देख अजय की बार-बार यही इच्छा जताते देखकर अजय के परिवार वालों ने अंततः उसकी शादी करने का फैसला ले ही लिया। लेकिन परेशानी यह थी कि अजय के लिए दुल्हन कैसे मिलेगी।
आखिरकार अजय के घरवालों ने बगैर दुल्हन के ही अजय की शादी करने का फैसला किया। साथ यह भी तय किया कि बगैर दुल्हन के होने वाली इस शादी में गुजराती समाज के सभी रीति-रिवाजों का पालन किया जाएगा। अजय के पिता के मन में बेटे की शादी के बाद यह दुख था कि शादी में दुल्हन की कमी रह गई। मीडिया से बातचीत में अजय के पिता ने बताया कि अजय की मां का देहांत बहुत पहले हो गया था। उस वक्त अजय बच्चा ही था। थोड़ा बड़े होने पर पता चला कि अजय 'स्पेशल चाइल्ड' है। उम्र के हिसाब से उसका दिमाग विकसित नहीं हो रहा था।
इसके बावजूद वह हर शादी को देख अपनी शादी की बात करता था, जबकि अजय को देखते हुए कोई भी उसे अपनी लड़की देने को तैयार नहीं था। ऐसे में अपने परिवार वालों से सलाह-मशविरा करने के बाद हमने अजय की शादी करने का निर्णय किया। भले ही दुल्हन न हो, लेकिन हमने सोच रखा था कि सारी रस्में होंगी और पूरी भव्यता के साथ कार्यक्रम होंगे। अब अपने बेटे की इच्छा पूरी करने के बाद मुझे बहुत खुशी हो रही है।