हिंदू धर्म के पवित्र चार धामों में से एक हैं बद्रीनाथ मंदिर जिसके हाल ही में कपाट खोले गए थे। हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान बद्रीनारायण के दर्शन करने यहां पहुँचते हैं। हांलाकि इस साल लॉकडाउन के चलते यह मुमकिन नहीं होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बद्रीनाथ मंदिर में शंख नहीं बजाय जाता हैं जबकि किसी भी मंदिर में पूजा के दौरान शंख बजाना पवित्र माना जाता हैं। तो आइये आज हम बताते हैं आपको इसके पीछे का रहस्य कि आखिर ऐसा क्या है कि बद्रीनाथ मंदिरमें कभी शंख नहीं बजाया जाता।
इस मंदिर में शंख नहीं बजाने के पीछे ऐसी मान्यता है कि एक समय में हिमालय क्षेत्र में दानवों का बड़ा आतंक था। वो इतना उत्पात मचाते थे कि ऋषि मुनि न तो मंदिर में ही भगवान की पूजा अर्चना तक कर पाते थे और न ही अपने आश्रमों में। यहां तक कि वो उन्हें ही अपना निवाला बना लेते थे। राक्षसों के इस उत्पात को देखकर ऋषि अगस्त्य ने मां भगवती को मदद के लिए पुकारा, जिसके बाद माता कुष्मांडा देवी के रूप में प्रकट हुईं और अपने त्रिशूल और कटार से सारे राक्षसों का विनाश कर दिया।
हालांकि आतापी और वातापी नाम के दो राक्षस मां कुष्मांडा के प्रकोप से बचने के लिए भाग गए। इसमें से आतापी मंदाकिनी नदी में छुप गया जबकि वातापी बद्रीनाथ धाम में जाकर शंख के अंदर घुसकर छुप गया। इसके बाद से ही बद्रीनाथ धाम में शंख बजाना वर्जित हो गया और यह परंपरा आज भी चलती आ रही है।