गुजरात के भावनगर के रहने वाले 3 फीट के गणेश विठ्ठल भाई बारैया का गुरुवार को यहां के मेडिकल कॉलेज में पहला दिन था। साल 2018 में नीट परीक्षा पास करने के बाद उन्हें MBBS में एडमिशन के लिए पूरे एक साल तक सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी थी। किसान परिवार के इस बच्चे ने कद काठी के कारण जन्मी तमाम कुंठाओं को हराकर ये जीत हासिल की है। इनकी कहानी सभी को प्रेरित करने वाली है। जब उन्हें यह डिग्री दी जाएगी, तब उनका नाम सबसे छोटी कदकाठी की वजह से गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जाएगा।
गणेश ने कहा कि पहला दिन शानदार था। सभी साथियों और डॉक्टरों ने मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया। मैं आज अच्छा महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मैंने इस डिग्री के लिए दो मोर्चों पर (अकादमिक और कानूनी) लड़ाई लड़ी। मैं आज बेहद खुश हूं। मैं सभी को शुक्रिया कहना चाहता हूं , क्योंकि उनके साथ के बगैर में मेरा सपना पूरा नहीं हो पाता।
पहले दिन वो एमबीबीएस में एडमिशन लेने वाले नये बैच के साथ बैठे थे। यहां वो सबसे पहली कतार में बैठे थे। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार पहले दिन गणेश में गजब का उत्साह था। उन्हें इस बात की खुशी थी कि वो अपने सपने को पूरा करने के लिए इतनी लंबी जंग लड़कर आए हैं।
बता दे, गणेश को एनईईटी परीक्षा-2018 में 223 अंक मिलने के बाद भी मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं दिया गया था। वजह थी उनकी 3 फीट हाइट। उस वक्त उनका वजन 14 किलोग्राम था। उन्हें किसी भी मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं दिया गया। उन्होंने 12वीं (विज्ञान) की परीक्षा 87% अंक के साथ पास की थी।
सुप्रीम कोर्ट से जीती लड़ाई सुप्रीम कोर्ट ने गणेश के मामले में कहा कि महज लंबाई कम होने से किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति की शारीरिक अक्षमता को भी आधार नहीं बनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जुलाई 2019 में ही एडमिशन देने के लिए आदेश दे दिया था। आदेश के बाद गणेश ने भावनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया।