अनोखी प्रथा! बाल गोपाल के जन्म की सूचना मिलते ही दी जाती हैं 21 तोपों की सलामी

श्रीकृष्ण के जन्म का पावन पर्व जन्माष्टमी आज देशभर में मनाया जा रहा हैं। सभी अपने घरों में कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां कर रहे हैं और मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का जमावड़ा देखने को मिल रहा हैं। आज की रात विभिन्न मंदिरों में मनमोहक नजारे देखने को मिलेंगे। लेकिन हम आपको एक अनोखी प्रथा के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जन्माष्टमी की रात प्रभु श्रीकृष्ण के जन्म के समय 21 तोपों की सलामी दी जाती है। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के उदयपुर में नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी के मंदिर की जहां तोपों की सलामी का नजारा देखने के लिए काफी संख्या में लोग आते हैं।

यह श्रीकृष्ण मंदिर वल्लभ संप्रदाय का प्रमुख पीठ है। ऐसे में यहां पर जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। श्रीनाथजी मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव सबसे अलग होता है। जन्माष्टमी के दिन यहाँ श्रीनाथ जी को पंचामृत और चंदन से स्नान कराया जाता है। उसके बाद उनका वस्त्र और आभूषणों से श्रृंगार होता है। भजन-कीर्तन किए जाते हैं। महाभोग, पंजीरी के बड़े लड्डुओं के भोग लगाए जाते हैं।

वहीं उसके बाद रात के समय में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है तो घंटे और बिगुल बजाए जाते हैं। जी हाँ और जैसे ही बाहर खड़े सुरक्षाकर्मियों को श्रीनाथजी के जन्म का संकेत मिलता है वह श्रीनाथजी को 21 तोपों की सलामी देते हैं। जी हाँ और इसकी आवाज पूरे शहर में गूंज उठती है। उसके बाद नगर के सभी घरों में भी श्रीनाथजी के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। केवल यही नहीं बल्कि जन्माष्टमी के अगले दिन सुबह श्रीनाथजी की हवेली में विधिपूर्वक नंद महोत्सव मनाया जाता है। जी हाँ और इसमें लोग दूध और दही से होली खेलते हैं।