
कोलकाता के लॉ कॉलेज में छात्रा के साथ हुए शर्मनाक गैंगरेप मामले में एक और चौंकाने वाली गिरफ्तारी सामने आई है। इस दर्दनाक घटना ने न केवल समाज को झकझोरा है, बल्कि सुरक्षा तंत्र पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अब कॉलेज के 55 वर्षीय सुरक्षा गार्ड पिनाकी बनर्जी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है, जो घटना के समय ड्यूटी पर था – लेकिन अफसोस, मदद करने के बजाय वह मूकदर्शक बना रहा।
पुलिस का कहना है कि पिनाकी उस समय परिसर में ही मौजूद था, लेकिन उसने अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाय चुपचाप कमरे से बाहर निकल जाना बेहतर समझा। एक बेटी, जो मदद के लिए चीख रही थी, उसकी आवाज़ तक उसे नहीं पसीज सकी। जब पीड़िता को सहारा देने की ज़रूरत थी, तब वही व्यक्ति जो उसकी सुरक्षा के लिए तैनात था, आंखें मूंदे खड़ा रहा।
पुलिस ने शनिवार को कस्बा थाने में पूछताछ के बाद पिनाकी को अरेस्ट कर लिया। बताया गया कि उसकी बातों में स्पष्टता नहीं थी, जवाब बदलता रहा और CCTV फुटेज में यह भी सामने आया कि वह परिसर में मौजूद था लेकिन आरोपियों के कहने पर खुद ही रूम से बाहर चला गया। क्या यह चुप्पी उसकी मजबूरी थी या मिलीभगत? यह अब पुलिस की जांच का विषय है।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि यह साबित हो गया कि गार्ड आरोपियों की मदद कर रहा था, तो वह भी इस जघन्य अपराध में सहभागी माना जाएगा। पीड़िता के बयान के मुताबिक घटना के वक्त कॉलेज का मुख्य गेट बंद था और सिक्योरिटी गार्ड को जानबूझकर बाहर भेज दिया गया था। ये बातें इस पूरे मामले को और भी शर्मनाक और भयावह बना देती हैं।
इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है – मनोजीत मिश्रा, कॉलेज स्टाफ जैब अहमद और प्रमीत मुखर्जी। तीनों आरोपी फिलहाल 1 जुलाई तक की पुलिस रिमांड में हैं। पीड़िता के दर्दनाक बयान और मेडिकल रिपोर्ट से साफ है कि उसके साथ न सिर्फ बलात्कार हुआ, बल्कि अमानवीय तरीके से उसे शारीरिक और मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया गया।
पीड़िता ने बताया कि आरोपी मनोजीत मिश्रा ने पहले उसे शादी का झांसा दिया, और बाद में उसी भरोसे को तोड़ते हुए बलात्कार किया। उसने न सिर्फ दरिंदगी की हद पार की, बल्कि वीडियो बना कर उसे वायरल करने की धमकी भी दी। इतना ही नहीं, पीड़िता ने यह भी बताया कि मिश्रा ने उसे हॉकी स्टिक से मारा। मेडिकल रिपोर्ट में भी पीड़िता के शरीर पर खरोंच और दांतों के निशान पाए गए हैं – जो इस अमानवीय कृत्य की पुष्टि करते हैं।
अब सवाल सिर्फ यह नहीं है कि आरोपी कौन हैं, बल्कि यह भी है कि हमारे कॉलेज जैसे सुरक्षित समझे जाने वाले संस्थानों में ऐसी घटनाएं आखिर कैसे हो रही हैं? और जब मदद की सबसे ज्यादा ज़रूरत थी, तब सुरक्षा में लगे लोग क्यों चुप रहे?