आटा गांव में डेढ़ महीने में 24 से ज्यादा बंदरों की मौत, रहस्य उजागर करने को डीएम राजेंद्र पैंसिया ने गठित की जांच टीम

आटा गांव में बीते डेढ़ महीने के भीतर बंदरों की लगातार हो रही मौतों ने पूरे इलाके में चिंता और रहस्य का माहौल बना दिया है। अब तक दो दर्जन से अधिक बंदरों की जान जा चुकी है। ताजा मामला 19 दिसंबर का है, जब गांव के अलग-अलग स्थानों पर चार बंदरों के शव मिलने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने मामले को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग और पशुपालन विभाग की संयुक्त जांच टीम गठित करने के निर्देश दिए। आदेश के बाद सोमवार को दोनों विभागों की टीमें गांव पहुंचीं, जहां उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत कर घटनाक्रम की जानकारी जुटाई और जांच में सहयोग करने की अपील की।

डेढ़ महीने में दर्जनों बंदरों की मौत, बढ़ी चिंता

गांव में दो दर्जन से अधिक बंदरों की असामान्य मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पंचायत घर में आयोजित बैठक के दौरान मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि इससे पहले भी बंदरों की मौत की सूचना पर विभागीय टीमें गांव पहुंची थीं, लेकिन उस समय कोई ताजा शव नहीं मिला था। बाद में कुछ बंदर पूरी तरह सूखी अवस्था में पाए गए, जिनका पोस्टमार्टम कर पाना संभव नहीं हो सका। उन्होंने ग्रामीणों से साफ तौर पर कहा कि यदि आगे कोई बंदर मृत अवस्था में मिले तो उसे छूने या दफनाने से बचें। शव को कपड़े से ढककर सुरक्षित रखें और तुरंत पशुपालन विभाग को सूचना दें, ताकि विभाग स्वयं मौके पर पहुंचकर आवश्यक जांच कर सके।

जानकारी छिपाने से नहीं निकलेगा सच

डॉ. शैलेंद्र सिंह ने ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव से भी आग्रह किया कि इस मामले को दबाने या नजरअंदाज करने के बजाय समय रहते विभाग को सूचित करें। उन्होंने कहा कि सही जानकारी मिलने पर ही मौतों के कारणों का पता लगाया जा सकता है। वहीं, डिप्टी मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अजय कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से गांव में पशुओं की स्वास्थ्य जांच के लिए एक विशेष कैंप भी लगाया गया, जिसमें 14 ग्रामीणों ने अपने पशुओं का इलाज कराया। इस दौरान नरौली के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अवधेश पटेल, वन विभाग के दो वन दरोगा और गांव के कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

मौत से पहले दिखाई दिए थे गंभीर लक्षण

गौरतलब है कि नवंबर महीने में गांव के मंदिर परिसर, पुराने खंडहरों, खाली प्लॉटों और जंगल की ओर कई बंदरों के शव पाए गए थे। ग्रामीणों के अनुसार, कई बंदर मौत से पहले नशे या किसी गंभीर बीमारी जैसी हालत में नजर आए थे। कुछ बंदरों और उनके बच्चों में तेज बुखार, अत्यधिक सुस्ती और भोजन-पानी छोड़ देने जैसे लक्षण भी देखे गए थे। मानवीय संवेदना के चलते ग्रामीणों ने कई मृत बंदरों को दफन कर दिया था। इस संबंध में पशुपालन विभाग और ग्राम प्रधान को कई बार सूचना दी गई, लेकिन हर बार टीम मौके पर पहुंचकर हालात को सामान्य बताकर लौट जाती रही।

जिलाधिकारी ने दिए सख्त जांच के निर्देश

शुक्रवार को एक बार फिर बंदरों के शव मिलने के बाद मामला और गंभीर हो गया। इसके बाद जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने पूरे प्रकरण का संज्ञान लेते हुए वन विभाग और पशुधन विभाग की संयुक्त टीम गठित कर विस्तृत जांच के निर्देश दिए। अब उम्मीद की जा रही है कि इस संयुक्त प्रयास से बंदरों की रहस्यमय मौतों के पीछे की सच्चाई सामने आ सकेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सकेगी।