कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने मनरेगा योजना के नाम और ढांचे में प्रस्तावित बदलाव को लेकर केंद्र सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। VB-G RAM-G के रूप में योजना को पेश किए जाने पर पायलट ने इसे मनरेगा की मूल आत्मा पर चोट बताया। उनका कहना है कि यह कदम उस कानूनी रोजगार गारंटी को कमजोर करने की दिशा में बढ़ता हुआ प्रयास है, जिसने वर्षों से ग्रामीण मजदूरों, महिलाओं और बेरोजगारों को सम्मानजनक जीवन और आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है।
सचिन पायलट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मनरेगा केवल एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि ग्रामीण भारत के लिए एक मजबूत सुरक्षा ढाल रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस पुराने बयान की भी याद दिलाई, जिसमें मनरेगा को ‘असफलता का स्मारक’ कहा गया था। पायलट के मुताबिक, समय ने यह साबित कर दिया है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी द्वारा लाया गया यह कानून दूरदर्शिता से भरा और जनहित में लिया गया ऐतिहासिक फैसला था।
‘करोड़ों परिवारों की जीवनरेखा बनी मनरेगा’पायलट ने कहा कि बीते करीब बीस वर्षों में मनरेगा ने न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा दिया, बल्कि गांवों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। खासतौर पर कोरोना महामारी के कठिन दौर में यह योजना करोड़ों परिवारों के लिए जीवनरेखा बनकर उभरी। जब शहरों से लोग गांव लौट रहे थे, तब मनरेगा ने लाखों लोगों को रोज़गार दिया और उन्हें भूख, कर्ज़ और गहरे आर्थिक संकट से उबरने का अवसर मिला।
‘अधिकार छीने जाने की साजिश’VB-G RAM-G को संसद में लाने की प्रक्रिया पर भी सचिन पायलट ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को न तो विपक्ष के साथ पर्याप्त विमर्श के बाद लाया गया और न ही राज्यों से जरूरी सलाह-मशविरा किया गया। पायलट का मानना है कि इसे सुधार कहना गलत होगा, क्योंकि यह वर्षों की मेहनत से हासिल किए गए श्रमिक अधिकारों को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश है।
कांग्रेस नेता ने दो टूक शब्दों में कहा कि उनकी पार्टी इस कदम का हर स्तर पर विरोध करेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मनरेगा से किसी भी तरह की छेड़छाड़ या उसके स्वरूप में बदलाव को कांग्रेस कतई स्वीकार नहीं करेगी, क्योंकि यह करोड़ों ग्रामीण परिवारों के भविष्य से जुड़ा हुआ सवाल है।