संस्कारों और संस्कृति से ही सुरक्षित रह सकते हैं संसदीय लोकतंत्र की गरिमा और भविष्य: राज्यपाल बागड़े

उदयपुर: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े अपने उदयपुर दौरे के दौरान वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में शामिल हुए। इस कार्यशाला का विषय था ‘विधानसभा कल, आज और कल’, जिसमें मेवाड़ क्षेत्र से जुड़े विधानसभा अध्यक्षों की भागीदारी रही। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संसदीय लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हैं। उन्होंने माना कि मर्यादाओं में कुछ गिरावट जरूर आई है, लेकिन हमारे संस्कार और संस्कृति इतनी समृद्ध हैं कि वे लोकतंत्र की गरिमा और उसके भविष्य की रक्षा कर सकती हैं।

राज्यपाल बागड़े के विचार:

उन्होंने कहा कि पहले विधानसभाओं में विषयों पर अधिक चर्चा होती थी, लेकिन अब विषयांतर की प्रवृत्ति बढ़ गई है। जनप्रतिनिधियों को विधेयकों पर तथ्य आधारित बहस में भाग लेना चाहिए, जबकि आजकल उनकी रुचि उसमें कम हो गई है। उन्होंने बताया कि पहले सदन में विभिन्न विचारधाराओं के लोग होने के बावजूद एक-दूसरे के प्रति सम्मान का भाव रहता था, परंतु अब कटुता अधिक दिखाई देती है। राज्यपाल ने अपने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के अनुभव साझा करते हुए कहा कि राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन सभी जनप्रतिनिधियों को जनकल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए।

राज्यपाल ने राजस्थान की सराहना करते हुए कहा कि यहां की विधानसभा उत्कृष्ट ढंग से संचालित होती है, क्योंकि प्रदेश की जनता संस्कारित और सभ्य है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के लोग देव धर्म में विश्वास रखते हैं और संयमित जीवनशैली अपनाते हैं, जिससे जनप्रतिनिधि भी उसी संस्कार से सदन का संचालन बेहतर ढंग से करते हैं और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा।

राजस्थान विधानसभा बनी आदर्श:

कार्यशाला में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा देश की सर्वश्रेष्ठ विधानसभाओं में एक है। उन्होंने बताया कि विधानसभा की कार्यवाही अब यूट्यूब चैनल पर लाइव होती है, जिससे 8 करोड़ जनता प्रत्यक्ष रूप से सदस्यों की कार्यशैली को देख सकती है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि सदस्यों के आचरण में भी सुधार हुआ है। देवनानी ने यह भी बताया कि राजस्थान विधानसभा को पेपरलेस बनाया जा रहा है – सभी विधायकों को iPad दिए गए हैं और पहले सत्र में ही 70% से अधिक विधायक डिजिटल कार्यप्रणाली को अपना चुके हैं। भविष्य में इसे 100% पेपरलेस बनाने का लक्ष्य है।

सर्वहित सर्वोपरि - विचारों में भिन्नता के बावजूद:

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी ने संविधान की प्रस्तावना से अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र की आत्मा उसी में निहित है। उन्होंने बताया कि संविधान लागू होने के बाद से सभी सरकारों ने सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद जैसे मूल्यों को केंद्र में रखकर काम किया। उन्होंने यह भी कहा कि विचारधाराओं में भिन्नता होते हुए भी सभी सरकारों का उद्देश्य जनहित रहा है। हालांकि, आज विचारधाराओं में दूरी बढ़ती जा रही है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में यह दूरी कम होगी और संवैधानिक मूल्यों की पुनर्स्थापना होगी।

कार्यशाला की अध्यक्षता वासुदेव देवनानी ने की और मंच पर पूर्व अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, शांतिलाल चपलोत और डॉ. सी. पी. जोशी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।