कांग्रेस का आरोप: 'राजस्थान में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के फोन दिल्ली में हो रहे टैप', BJP ने बताया सियासी ड्रामा

राजस्थान की राजनीति इन दिनों जबरदस्त गरमाई हुई है, और इसकी वजह है एक बेहद चौंकाने वाला आरोप—कथित रूप से मुख्यमंत्री और मंत्रियों के फोन टेप किए जाने का। इस मुद्दे ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी जुबानी जंग छेड़ दी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस पूरे मामले को एक नया मोड़ देते हुए दावा किया है कि राज्य सरकार के बड़े नेताओं के फोन दिल्ली में बैठकर टैप किए जा रहे हैं। डोटासरा के इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।

डोटासरा का सनसनीखेज दावा: दिल्ली से लिया जा रहा है नियंत्रण

गोविंद सिंह डोटासरा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राजस्थान सरकार में शामिल लोग अब फोन पर बात करने से भी घबरा रहे हैं। उनका दावा है कि दिल्ली में बैठे बीजेपी के कुछ नेता इन कॉल्स को सुन रहे हैं और फिर उन्हीं रिकॉर्ड की गई बातचीत के आधार पर सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं। डोटासरा के मुताबिक उन्हें यह जानकारी न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं बल्कि अन्य विश्वसनीय स्रोतों से भी मिली है। उन्होंने यहां तक आरोप लगा दिया कि राज्य में फैसले खुद मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं, बल्कि दिल्ली से आने वाली ‘पर्चियों’ के आधार पर लिए जा रहे हैं।

बीजेपी का कड़ा पलटवार: झूठ की राजनीति कर रहे हैं डोटासरा

इस सनसनीखेज बयान का जवाब देने में बीजेपी ने जरा भी देर नहीं की। सरकार में कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर ने डोटासरा के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए उन्हें ‘राजस्थान का सबसे बड़ा झूठा’ तक कह डाला। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि कांग्रेस जब कोई मुद्दा नहीं ढूंढ पाती, तो वह इस तरह के झूठे बयान देकर जनता को भ्रमित करने की कोशिश करती है। उन्होंने डोटासरा को ‘निकम्मा’ बताते हुए कहा कि अगर इससे भी बुरा कोई शब्द होता, तो वो उसका इस्तेमाल करते।

राजनीति में गरमाहट: मर्यादा की सीमाएं टूटीं

फोन टैपिंग को लेकर छिड़ी यह जंग अब मर्यादा की सीमाओं को पार कर चुकी है। दोनों ही दलों के नेता एक-दूसरे पर तीखे और व्यक्तिगत हमले करने से पीछे नहीं हट रहे। जहां कांग्रेस ने इस पूरे विवाद को उठाकर राज्य की सियासत को हिला कर रख दिया है, वहीं बीजेपी ने इसे बेबुनियाद और झूठ करार देकर कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठा दिए हैं।

यह कहना गलत नहीं होगा कि राजस्थान की राजनीति में इन आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच एक नया भूचाल आ गया है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला कितना और तूल पकड़ता है और क्या कोई ठोस प्रमाण भी सामने आता है या नहीं।