पिछले कुछ दिनों से राजस्थान की सियासत में मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) और कैबिनेट फेरबदल (Cabinet Reshuffle) की चर्चाएं लगातार सुर्खियों में थीं। इन अटकलों को तब और बल मिला जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) एक ही उड़ान से दिल्ली से जयपुर लौटे। जैसे ही दोनों नेता एक साथ नजर आए, राजनीतिक हलचलों में यह सवाल उठने लगा कि क्या राज्य सरकार किसी बड़े बदलाव की तैयारी में है?
मगर कैबिनेट बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने स्पष्ट किया कि बैठक में इस तरह की किसी भी चर्चा पर विचार तक नहीं हुआ। इसके बावजूद राजनीतिक गलियारों में संभावनाओं पर गर्मागर्म बहस जारी रही।
गजेंद्र शेखावत ने तोड़ी चुप्पीलगातार फैल रही अफवाहों के बीच केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सामने आकर पूरा मामला स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ उनकी यात्रा महज प्रशासनिक कामकाज का हिस्सा थी, न कि कोई राजनीतिक संकेत। दिल्ली से जयपुर लौटते समय दोनों के बीच राज्य के विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत बातचीत हुई—चाहे वह शासन व्यवस्था में तालमेल का मामला हो या आने वाले महीनों की प्राथमिकताएं तय करने का। शेखावत ने कहा कि सरकार किन क्षेत्रों में बेहतर तरीके से काम कर सकती है, इस पर भी गहन चर्चा की गई।
काम को साधना की तरह करेंजब उनसे पूछा गया कि इतना व्यस्त कार्यक्रम होने के बावजूद वह हमेशा प्रसन्नचित क्यों दिखते हैं, तो शेखावत ने मुस्कुराते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी को दवाइयों से ज्यादा ध्यान (Meditation) की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपने काम को ही साधना की तरह करे—पूरी एकाग्रता, समर्पण और आनंद के साथ—तो न थकान होती है, न तनाव। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना की एक पंक्ति उद्धृत की— “यत् कण्टकाकी मार्गं, स्वयं कृतं च सुगमम् कार्यम्।” अर्थात, रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो, यदि हमने उसे स्वयं स्वीकार किया है और पूरी निष्ठा से चलते हैं, तो वही मार्ग आसान हो जाता है।
राजनीतिक संकेत क्या छिपे हैं?शेखावत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें चरम पर हैं। भले ही उन्होंने किसी संभावित फेरबदल पर टिप्पणी करने से बचा लिया, लेकिन उनका रुख यह स्पष्ट करता है कि फिलहाल सरकार का ध्यान प्रशासनिक दक्षता और भविष्य की प्राथमिकताओं पर है।
हालांकि, राजस्थान की राजनीति में अटकलों का दौर थमता नहीं दिख रहा। मौजूदा बीजेपी सरकार के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियां मौजूद हैं—किसान मुद्दे, पेयजल संकट, निवेश को बढ़ावा देना और विकास कार्यों में तेजी लाना। ऐसे में मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री की संयुक्त यात्रा को राजनीतिक विश्लेषक अपने-अपने नजरिए से देख रहे हैं।
अभी यह कहना मुश्किल है कि आने वाले दिनों में कैबिनेट में सचमुच कोई बड़ा फेरबदल होगा या नहीं, लेकिन इतना तय है कि राजस्थान की सियासी हवा अभी भी चर्चाओं से भरी हुई है।