
जयपुर। जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े करीब 900 करोड़ रुपये के मामले में विशेष ईडी अदालत में शुक्रवार को पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत अर्जी पर बहस पूरी हो गई। पीठासीन अधिकारी खगेन्द्र कुमार शर्मा इस पर जल्द ही अपना फैसला सुनाएंगे। वर्तमान में जोशी न्यायिक हिरासत में हैं और उन पर घोटाले में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं।
महेश जोशी की ओर से अधिवक्ता विवेक राज बाजवा ने अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को मामले में झूठा फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि न तो एसीबी की एफआईआर में और न ही चार्जशीट में महेश जोशी का नाम है। ईडी द्वारा मार्च 2024 में भेजे गए समन का जवाब भी दिया गया था, लेकिन एक वर्ष तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। अचानक कुछ दिन पहले ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाकर गिरफ्तार कर लिया।
बाजवा ने यह भी बताया कि ईडी ने जिन 50 लाख रुपये की लेन-देन का हवाला अपनी रिपोर्ट में दिया है, वह राशि महेश जोशी के बेटे की कंपनी द्वारा जुलाई 2023 में लोन के रूप में ली गई थी, जिसे समय पर लौटा दिया गया। उन्होंने यह भी तर्क रखा कि मामले के अन्य आरोपी पहले ही जमानत पर हैं और उनसे कोई बरामदगी भी नहीं हुई है, इसलिए महेश जोशी को भी जमानत मिलनी चाहिए।
ईडी ने जताई आपत्तिवहीं, ईडी की ओर से अधिवक्ता अजातशत्रु मीणा ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि सह-आरोपियों के बयानों से स्पष्ट है कि रिश्वत की राशि महेश जोशी तक पहुंचाई गई थी। इसके अलावा आरोपियों की फर्म से जोशी के बेटे की फर्म को भी लाखों रुपये का भुगतान हुआ था। अभियोजन पक्ष के पास उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, और अगर उन्हें जमानत दी गई तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
गौरतलब है कि जल जीवन मिशन घोटाले में केस दर्ज होने के बाद ईडी ने महेश जोशी को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी के निधन के चलते उन्हें दो बार अंतरिम जमानत मिल चुकी है। अब नियमित जमानत को लेकर अदालत जल्द ही अपना फैसला सुनाएगी।