
शेयर बाजार में निवेश की सलाह देने वाले और टेलीविजन चैनलों पर अक्सर नजर आने वाले विशेषज्ञ संजीव भसीन अब खुद सेबी के शिकंजे में आ गए हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने उन पर फ्रंट-रनिंग का आरोप सिद्ध होने के बाद उन्हें शेयर बाजार में किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग करने से प्रतिबंधित कर दिया है। इस कार्रवाई में भसीन समेत कुल 12 लोगों को निशाने पर लिया गया है। साथ ही सेबी ने 12 करोड़ रुपये की वसूली का भी आदेश दिया है।
क्या होता है फ्रंट-रनिंग और कैसे होता है इससे नुकसानफ्रंट-रनिंग एक गंभीर शेयर बाजार अपराध है जिसमें किसी व्यक्ति को बड़ी खरीद या बिक्री की सूचना पहले मिल जाती है और वह खुद उससे पहले ट्रेड कर लेता है। जब शेयर की कीमत ऊपर जाती है, तो वह पहले से खरीदे गए शेयर मुनाफे में बेच देता है। इससे आम निवेशक भ्रमित हो जाते हैं और उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। संजीव भसीन भी इसी प्रक्रिया में लिप्त पाए गए हैं, जहां वे अपने लिए पहले ट्रेड करवाते थे और फिर टीवी चैनलों पर आकर निवेशकों को उसी शेयर को खरीदने की सलाह देते थे।
इस बार सेबी ने ऐसे जुटाए पुख्ता सबूतसेबी की इस जांच में सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने इस बार सिर्फ कॉल रिकॉर्ड्स पर भरोसा नहीं किया, बल्कि कॉल ट्रांस्क्रिप्ट्स, WhatsApp चैट्स, IP लॉग्स और CDR डेटा का विश्लेषण कर एक ठोस केस तैयार किया। यह पहला मामला है जिसमें सेबी ने कॉल ट्रांस्क्रिप्ट का उपयोग करते हुए किसी विशेषज्ञ की भूमिका को बेनकाब किया है। इस डिजिटल सबूतों के आधार पर संजीव भसीन का पूरा नेटवर्क सामने आ गया।
डीलर और स्टॉकब्रोकर की मिलीभगत से होता था पूरा खेलसंजीव भसीन खुद ट्रेड नहीं करते थे, बल्कि उनके कहने पर एक डीलर शेयर बाजार में पहले से शेयर खरीदता था। इसके बाद भसीन मीडिया पर आकर उन शेयरों को खरीदने की सलाह देते थे, जिससे शेयर का मूल्य बढ़ जाता और पहले से खरीदे गए शेयर लाभ में बिक जाते। सेबी ने इस डीलर को भी दोषी पाया है और उसके खिलाफ भी कार्रवाई की गई है।
ग्रे मार्केट में चलता था असली खेलजांच में यह भी सामने आया कि इस पूरे फर्जीवाड़े का बड़ा हिस्सा ग्रे मार्केट के जरिए किया जाता था। ग्रे मार्केट वह जगह है जहां नकद लेन-देन होते हैं और कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं होता। यदि ये सौदे एक्सचेंज के जरिए होते, तो सेबी को उनका पता चल सकता था, लेकिन कैश में हुए सौदों को ट्रेस करना मुश्किल होता है। संजीव भसीन और उनके नेटवर्क ने इसी का फायदा उठाया और बाजार को प्रभावित करने का प्रयास किया।
पर्दे के पीछे कौन-कौन था शामिलइस पूरे षड्यंत्र में भसीन अकेले नहीं थे। उनके कजिन ललित भसीन ने संदिग्ध ट्रेड्स में सहायता की और RRB मास्टर सिक्योरिटीज लिमिटेड के एमडी आशीष कपूर ने पूरे ऑपरेशन के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराया। इन दोनों की भूमिका भी सेबी की जांच में उजागर हुई है और उन्हें भी बाजार से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
IIFL में क्या रही भसीन की भूमिकासंजीव भसीन IIFL सिक्योरिटीज में लंबे समय तक कार्यरत रहे। वे 1 अप्रैल 2017 से 30 नवंबर 2022 तक IIFL के डायरेक्टर पद पर रहे और उसके बाद 1 दिसंबर 2022 से 17 जून 2024 तक कंसल्टेंट के रूप में कार्यरत थे। माना जा रहा है कि इसी अवधि के दौरान उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इस फ्रंट-रनिंग नेटवर्क को अंजाम दिया।
सेबी की सख्ती से टूटा भरोसा या बना नया उदाहरण?संजीव भसीन जैसे चर्चित विशेषज्ञ पर इस तरह की कार्रवाई बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा संदेश है। इससे यह भी साबित होता है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और सेबी अब तकनीकी रूप से अधिक सशक्त होकर काम कर रहा है। यह कार्रवाई आम निवेशकों के लिए भी चेतावनी है कि किसी भी सलाह पर आंख मूंदकर भरोसा न करें, बल्कि खुद रिसर्च कर समझदारी से निवेश करें।