सुप्रीम कोर्ट ने यशवंत वर्मा जांच रिपोर्ट की RTI याचिका की खारिज

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में हुई आंतरिक जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करने वाली RTI याचिका को खारिज कर दिया है।

यह याचिका अमृतपाल सिंह खालसा द्वारा दायर की गई थी, जिसमें आंतरिक जांच समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट और मुख्य न्यायाधीश द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि मांगी गई थी। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट के केंद्रीय सूचना अधिकारी (CPIO) ने 9 मई को खारिज कर दिया था।

CPIO ने सुप्रीम कोर्ट बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल के मामले में स्थापित कानूनी सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि मांगी गई जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती। साथ ही RTI अधिनियम की धारा 8(1)(e) और 11(1) का भी उल्लेख किया गया, जो गोपनीयता और तीसरे पक्ष की जानकारी के संरक्षण को सुनिश्चित करती हैं।

21 मई को सुप्रीम कोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार और CPIO ने एक लिखित उत्तर में पुनः स्पष्ट किया कि यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। इस जवाब में न्यायिक स्वतंत्रता, गोपनीयता का अधिकार, और न्यायिक प्रक्रियाओं की संवेदनशीलता जैसे पहलुओं पर जोर दिया गया।

यह आंतरिक जांच मार्च 2025 में न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास पर लगी आग के दौरान बड़ी नकदी मिलने के बाद शुरू की गई थी। उस समय वे दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश थे, लेकिन बाद में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया और मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर उनका न्यायिक कार्य भी वापस ले लिया गया।

हालांकि, जांच के प्रारंभिक रिपोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट, न्यायमूर्ति वर्मा की प्रतिक्रिया, तथा दिल्ली पुलिस द्वारा ली गई तस्वीरें और वीडियो सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए थे, परंतु अंतिम जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।

इस फैसले से जुड़ी RTI याचिका खारिज करने का कारण न्यायिक स्वतंत्रता और संवेदनशील जानकारी की रक्षा बताई गई है।