भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने बुधवार को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर जाने से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस दौरान कोहली ने वनडे कप्तानी से हटाए जाने और साथी खिलाड़ी रोहित शर्मा के साथ मतभेदों पर खुलकर बात की। कोहली ने कहा कि बीसीसीआई ने उन्हें कभी टी20 टीम की कप्तानी छोड़ने पर पुनर्विचार करने को नहीं कहा जैसा कि बोर्ड ने दावा किया है। दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टीम चयन से 90 मिनट पहले उनसे संपर्क किया गया और उन्हें वनडे टीम की कप्तानी से हटाए जाने के बारे में जानकारी दी गई। इस बात से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली सवालों के घेरे पर हैं।
गांगुली ने कोहली को वनडे टीम की कप्तानी से हटाए जाने के बाद हो रहे विवाद के बाद कहा था कि हमने उनसे आग्रह किया था कि वे टी20 कप्तानी नहीं छोड़े लेकिन वे कप्तान के रूप में बरकरार नहीं रहना चाहते थे। इसलिए चयनकर्ताओं ने महसूस किया कि सीमित ओवरों के दो प्रारूप में दो कप्तान नहीं हो सकते। इससे नेतृत्व क्षमता का टकराव हो सकता है। अब आज गुरुवार को पत्रकारों ने गांगुली से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया लेनी चाही जिसके जवाब में उन्होंने कहा, मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। हम इससे निपट लेंगे, इसे बीसीसीआई पर छोड़ दीजिए। कोहली-गांगुली विवाद पर गावस्कर ने दी अपनी राय
भारत के
पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कोहली और गांगुली वाले मामले पर बड़ा बयान
दिया है। उन्होंने कहा है कि कोहली द्वारा बुधवार को दिए गए बयान पर
बीसीसीआई को जवाब देना चाहिए। इस मामले पर गांगुली को भी खुलकर सामने आना
चाहिए, ताकि यह पता चल सके कि कोहली और बीसीसीआई अध्यक्ष के बयानों में
फर्क कैसे है। गावस्कर ने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में कहा कि कोहली का
बयान पूरे बीसीसीआई को कठघरे में खड़ा नहीं कर रहा है। उन्होंने गांगुली का
नाम लिए बिना कहा कि मुझे लगता है कि इस मामले पर सिर्फ एक इंसान से सवाल
पूछा जाना चाहिए। उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि कोहली को मैसेज कब दिया। यह
इकलौती चीज है।
गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष हैं और निश्चित तौर पर
सवाल उनसे ही पूछा जाएगा। मुझे लगता है जवाब देने के लिए वही सबसे अच्छे
इंसान हैं। भारतीय कप्तान के बयानों का वे अच्छी तरह से खंडन कर सकेंगे।
यहां विवाद क्या है? अगर मुख्य चयनकर्ता आपको फोन कर बता रहा है कि आपको हम
वनडे कप्तान नहीं रखना चाहते, तो इसमें खराबी क्या है। सब ठीक है।
चयनकर्ताओं को ही चयन करने की छूट होती है। कप्तान को बस जानकारी देने के
तौर पर शामिल किया जाता है।