अजहर महमूद से छुटकारा चाहता है PCB, मुआवजा बना रोड़ा, वित्तीय संकटों से पड़ेगा पाला

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) इन दिनों अपने अंतरिम टेस्ट कोच अजहर महमूद से पीछा छुड़ाने की कोशिशों में जुटा हुआ है, लेकिन उनकी भारी-भरकम सैलरी और अनुबंध की शर्तों ने बोर्ड के हाथ बांध दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, यदि अजहर को समयपूर्व हटाया गया, तो बोर्ड को छह महीने की सैलरी यानी लगभग 45 करोड़ पाकिस्तानी रुपये (13.60 करोड़ भारतीय रुपये) का मुआवजा देना होगा।

अनुबंध बना बाधा

पीसीबी के एक करीबी सूत्र ने बताया कि यह अनुबंध पिछली बोर्ड प्रबंधन के कार्यकाल में तय किया गया था, जो अब नए प्रशासन के लिए गले की फांस बन गया है। अजहर महमूद को हर महीने करीब 75 लाख पाकिस्तानी रुपये वेतन मिलता है और उनका अनुबंध अप्रैल–मई 2026 तक वैध है।


हेसन को नहीं पसंद अजहर

मुसीबत तब और बढ़ गई जब हाल ही में नियुक्त लिमिटेड ओवर्स हेड कोच माइक हेसन ने साफ कर दिया कि वे अपने कोचिंग स्टाफ में अजहर महमूद को नहीं चाहते। इससे पीसीबी के सामने यह दुविधा आ गई कि महमूद की भूमिका को कैसे न्यायसंगत ठहराया जाए, ताकि मुआवजा चुकाने से बचा जा सके।

यही वजह है कि पीसीबी ने महमूद को अस्थायी रूप से राष्ट्रीय टेस्ट टीम का मुख्य कोच बना दिया। यह कदम महज अनुबंध की शर्तों को निभाने और सार्वजनिक आलोचना से बचने के लिए उठाया गया प्रतीत होता है।

सूत्रों के अनुसार, अजहर महमूद खुद भी बोर्ड के रवैये से खुश नहीं हैं। उन्होंने पीसीबी से अनुरोध किया था कि उन्हें राष्ट्रीय जूनियर टीम की जिम्मेदारी दी जाए, लेकिन उन्हें अंदरूनी विरोध का सामना करना पड़ा।

पहले भी भुगत चुका है पीसीबी

यह कोई पहली बार नहीं है जब पीसीबी को अपने कोचिंग स्टाफ के अनुबंधों के कारण भारी वित्तीय संकट झेलना पड़ा हो। इससे पहले वकार यूनिस, सकलैन मुश्ताक, मिस्बाह-उल-हक और सरफराज अहमद के अनुबंध खत्म करते समय भी बोर्ड को मोटी रकम चुकानी पड़ी थी — खासकर चैंपियंस कप के दौरान, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था।

पीसीबी इस समय दोहरे संकट में है — एक तरफ प्रदर्शन की मांग और दूसरी तरफ कोचिंग स्टाफ के भारी भरकम अनुबंध। अजहर महमूद के मामले ने बोर्ड की रणनीतिक और वित्तीय कमजोरियों को उजागर कर दिया है। जब तक समाधान नहीं निकलता, यह टकराव पीसीबी की कार्यशैली और छवि दोनों पर सवाल खड़े करता रहेगा।